भगवान शिव की आराधना से जीव मात्र का कल्याण सम्भव : आचार्य झम्मन शास्त्री


  सप्त दिवसीय  आयोजित रुद्राभिषेक समारोह का समापन 

धमतरी। विवेका नंद कालोनी महालक्षमी ग्रीन्स में  श्रावण मास में सप्त दिवसीय  आयोजित रुद्राभिषेक समारोह का आनंदमई वातावरण में  यज्ञ पूर्णहुति महाआरती प्रसाद वितरण  के साथ सम्पन्न  हुआ। इस अवसर पर आचार्य झम्मन शास्त्री ने गोष्ठी सभा मे  भक्तों को  संबोधित करते हुए कहा भगवान शिव की आराधना से जीव मात्र का कल्याण सम्भव है उपासना के द्वारा ही सांसारिक  वासनाओं से मुक्त होकर जीव सदा सदा के लिए   लिए मुक्त हो सकता है। जीव तत्वतः का शिव स्वरूप ही है अभी अविद्याजन्य  माया मोह के कारण जगत के बंधन  में पड़ा हुआ है तत्वज्ञान के द्वारा ही अज्ञानता का विनाश संभव है। इसके लिए क्रमिक साधना की आवश्यकता होती है।

सत्संग सदाचार संयम स्वाध्याय संकीर्तन सेवा तथा परस्पर सामंजस्य पूर्ण संबाद के द्वारा जीवन में दिव्य  गुणों का प्रवेश होता है जिससे मन और चित्र की सुद्धि  होती है। तामसी वृत्ति  बढ़ रही है इसे दूर करने के लिए सतोगुण का विस्तार हो समाज में  परिवार में देश में भाईचारा सतप्रेम एकता एवं  अखंडता की स्थापना के लिए शिव से शिक्षा ग्रहण कर परस्पर सदभावपूर्ण प्रेम को जीवन में अपनाने से ही विभिन्न समस्याओं का समाधान संभव है ।भगवान शिव स्वयं प्रभु राम की पूजा कर दिन रात नाम जपते थे अपने इष्ट देवता की आराधना कर जगत को प्रेरणा देते थे  परस्पर  दुसरो का सम्मान करो माता पिता गुरु ईश्वर के चरणों में निश्चल प्रेम करो अभिमान अहंकार ईर्ष्या द्वैष से दूर रहकर विनम्र बनो ।

भगवान शिव जी का दर्शन श्रीधान्त अद्भुत है जन कल्याण के लिए उन्होंने समुद्र  मंथन से प्रकट विष पान कर संकटों का सामना किया था सभी को उन्होंने सुखी बनाया देवता दानव मानव जीवमात्र  के कल्याण के लिए भगवान शिव जी ने जहर को कंठ में  धारण  कर लिया  तभी से रुद्राभिषेक शिवार्चन करने ही महत्त्व अधिक हो गया  पउसी से उनका नाम नीलकंठ पड़ गया। आज वर्तमान में परिवार समाज तथा देश के कर्ण धार इस कथा से प्रेरणा लेकर सर्वहित की भावना से  धर्म रक्षा राष्ट्र रक्षा  के लिए कार्य करें तो  भारत पकी यश कीर्ति  महिम को बढ़ाते हुए सर्व विध उत्कर्ष को प्राप्त कर सकते हैं जिन के दरबार में सत्रु  भी मित्र  बन जाते है प्रतिकूलता  में भी अनुकूल वातावरण बना ले उसी का नाम शिव है  अमंगल भी मंगल हो जाते हैं भगवान शंकर के नाम मात्र से सर्व अरिष्ठ  अमंगलो का  विनाश हो जाता है । अंत में आचार्य श्री ने  यज्ञ की महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यज्ञ के द्वारा बाह्य प्रदूषण तथ आंतरिक प्रदूषण से मुक्ति संभव  है इसके द्वारा सुख शांति समृद्धि  की स्थापना होगी देवता प्रकट पर्यावरण सुद्धि समय पर सुवृष्टि  होती है वैज्ञानिक दृष्टि से भी आध्यात्मिक रूप से यज्ञ का परम आवश्यक ता है वर्षा हेतु वरुण सूक्त विशेष आहुति दी गई।

इस अवसर पर गोपाल शर्मा , राजेश शर्मा , जितेंद्र शर्मा , पंकज शर्मा ,राहुल शर्मा ,रोहित शर्मा, जानकी प्रसाद शर्मा, विकास शर्मा, राधेश्याम अग्रवाल, विपिन विरानी, प्रदीप विरानी, ललित नाहटा, बजरंग अग्रवाल ,राहुल बजरंग अग्रवाल,सुशील शर्मा, भूषण सार्दुल  , विपिन वीरानी, प्रदीप वीरानी , दिलीप सोनी, दिलीप रामानी, आशीष थिटे, योगेश गांधी, सन्नी मिश्रा, संजय  काजवानी , राजेश महेश्वरी,विजय मोटवानी  ,अजय चतुर्वेदी ,अमित श्रोती, राम शरण मिश्रा,आरती शर्मा, नीतू शर्मा , राधा  अग्रवाल , कीर्ति भूषण सार्दुल प्रियंका शर्मा, मोना शर्मा, मोना शर्मा

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