शरद पूर्णिमा पर खीर के प्रसाद का होता है विशेष महत्व, होगी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा

 



धमतरी।शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर शुक्रवार, यानी आज है। शरद पूर्णिमा (कोजागिरी लक्ष्मी पूजा) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को कौमुदी यानी मूनलाइट में खीर को रखा जाता है। इस दिन शाम को मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन ने पूजा- अराधना करने वाले भक्तों पर मां लक्ष्मी कृपा बरसाती हैं। धमतरी में भी कई संस्थाएं इसे सामूहिक रूप से मनाती थी लेकिन इस बार कोरोना की वजह से लोग घरों में ही इस त्यौहार को मनाएंगे।


जानें क्यों किया जाता है शरद पूर्णिमा व्रत-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की दो बेटियां थीं। दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया। जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी। एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया। कहते हैं कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा।



खीर का है विशेष महत्व...

आज का दिन बेहद खास है. आज की रात चंद्रमा की किरणें अमृत छोड़ती है. इसलिए आज चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का खास महत्व है. शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है।चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं।

शरद पूर्णिमा की रात वैज्ञानिक दृष्टि से भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। चन्द्रमा से निकलने वाली किरणों में विशेष प्रकार के लवण व विटामिन होते हैं। जब यह किरणें खाने-पीने की चीजों पर पड़ती हैं तो उनकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है। हालांकि मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा की रात 10 से 12 बजे तक 30 मिनट के लिए चंद्रमा की रोशनी में रहना  स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद रहता है।खीर पेट के रोगों को दूर करती है।दूध में लैक्टिक एसिड और अन्य पोषक तत्व होते हैं।  चन्द्रमा की किरणों से खीर की गुणवत्ता और पौष्टिक हो जाती है। इस खीर को खाने से पेट मे बनने वाली गैस, कब्ज और अन्य पेट संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।

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