न्यूनतम लागत से बने गौठानों से मवेशियों को मिल रहीं बेहतर सुविधाएं

‘गरवा‘ को सहेजने के अभिनव प्रयास के साथ गांव हो रहे अतिक्रमणमुक्त
 

धमतरी, प्रदेश सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ की वास्तविक पहचान को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की कवायद की जा रही है। नरवा, गरवा, घुरवा अउ बारी को बचाने के लिए प्रमुखता और गम्भीरता से योजनाओं का क्रियान्वयन शासन द्वारा किया जा रहा है। ‘गरवा‘ (पशुधन) को बचाने के लिए जिले में कम लागत के गौठान तैयार किए जा रहे हैं, जिससे न सिर्फ मवेशियों को निश्चित ठौर मिल रहा है, अपितु गांवों में हो रहे अतिक्रमण पर भी लगाम लगाई जा रही है। साथ ही एक ही स्थान पर गौवंश को आवश्यक और मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं।


गोठान निर्माण के जरिए गांवों में अतिक्रमण हटाने की कवायद- शहर की भांति गांवों में भी शासकीय भूमि पर अतिक्रमण की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है। चारागाह के अभाव में किसानों के मवेशी यत्र-तत्र घूमते या सड़क पर बैठे नजर आते हैं। गांवों में इनकी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है, साथ ही सड़क पर बेतरतीब ढंग से मवेशियों की मौजूदगी से सड़क हादसों की तादाद लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ की धरोहर (चिन्हारी)- नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी को सहेजने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इससे गांव में गौठान का निर्माण कर पशुओं की सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है।

कुरूद की 15 ग्राम पंचायतों तैयार हो रहे गौठान- जिले के कुरूद विकासखंड की 15 ग्राम पंचायत हंचलपुर, पचपेड़ी, तर्रागोंदी, सुपेला, कोसमर्रा, गाड़ाडीह आर, गातापार-1, सिहाद, चरोटा, बोरझरा, इर्रा, भेण्डरा, कोर्रा, चटौद, दरबा के 18 ग्राम में गौठान निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ है। ग्राम पंचायत इर्रा में मनरेगा एवं रूर्बन के अभिसरण से कुल पांच एकड़ भूमि में 885 पशुओं के सुरक्षा के लिए गौठान का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसके तहत स्थल की सुरक्षा हेतु सीपीटी निर्माण कार्य, आवश्यक समतलीकरण कार्य, पशुओं के पेयजल हेतु कोटना टैंक निर्माण एवं अपशिष्ट निपटान के लिए कचरा टैंक निर्माण कार्य (नाडेप टैंक) किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त पौधरोपण कार्य, वर्मी कम्पोस्ट, गौठान में चैन लिंक फेंसिंग (कंटीले तार का घेरा) का कार्य, चरवाहा के लिए बैठने का शेड, गौमूत्र एवं गोबर आदि एकत्रित कर उपयोगी सामग्री तैयार करने का कार्य भी प्रस्तावित है।
स्वसहायता समूह कर रहे ग्रामीणों को प्रोत्साहित- ग्राम पंचायत इर्रा में बन रहे गौठान की विशेषता यह है कि वहां आसपास उपलब्ध अनुपयोगी सामग्रियों का उपयोग कर लूज बोल्डर चेकडैम (गेबियन) और अन्य संरचना का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के निर्माण होने से भविष्य में संबंधित स्थान पर भूमिगत जल का स्तर भी बढे़गा एवं मिट्टी का कटाव भी रूकेगा। पशुओं के आहार के लिए पैरा को सुरक्षित स्थान पर रखरखाव हेतु मचान का भी निर्माण कार्य किया जा रहा है। गांव में पशुशेड और गौठान के लिए स्थल आरक्षित कर निर्माण कार्य को तवज्जो देने के साथ-साथ मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा-पानी की व्यवस्था एवं पैरा का दान कर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराया गया है। इस तरह कम लागत से बने गौठान से मवेशियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर गौठान समिति का गठन किया गया है वहीं स्वसहायता समूह की महिलाएं एवं ग्रीन आर्मी वृक्षारोपण एवं पैरादान कार्य के लिए ग्रामीणों को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। इससे महिलाएं आर्थिक एवं सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनेंगी। कृषि विभाग द्वारा गौठान स्थल पर एचडीपीई विधि से वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) निर्माण करने के लिए जैविक खाद संरचना का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह पशु विभाग द्वारा पशु उपचार, दवा वितरण एवं कृषक संगोष्ठी के माध्यम से पशुपालकों को पशुओं की सुरक्षा व्यवस्था हेतु टीकाकरण, लावारिस पशुओं के समुचित प्रबंधन की जानकारी दी जा रही है। साथ ही पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
गांव में किया जा रहा पैरादान- धान फसल मिंजाई के बाद पैरा का सही इस्तेमाल करने के लिए किसानों द्वारा पशुओं के चारा हेतु पैरादान की भी शुरूआत की जा रही है। इससे पशुओं को चारे की तलाश में इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता और एक ही जगह पर पर्याप्त मात्रा में चारा की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।

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