VDO:पारंपरिक ढंग से निकाली गई गौरा गौरी


 हर गली मोहल्लों में सुबह से ही लोकगीत संगीत के साथ की गई पूजा 


भुपेंद्रसाहू
धमतरी।दीपावली के मुख्य त्यौहार के दूसरे दिन सुबह से ही ईश्वर गौरा गौरी निकालने की परंपरा आज भी कायम है। न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र बल्कि शहरी क्षेत्रों के लगभग हर वार्ड में यह गौरा गौरी निकाली जाती है ।सोमवार को धमतरी में भी इस हर्षोल्लास से मनाया गया। गौरा छत्तीसगढ़ी की जनजाति गोंडों का परंपरागत त्यौहार है परंतु अब इसे सभी जाति तथा वर्ग के लोग मिलजुल कर मनाते हैं ।

इस दिन गांव में गौरा गौरी की सुंदर सुसज्जित झांकियां निकाली जाती है और उन्हें बकायदा परघाया जाता है ।इसे एक प्रकार का शिव विवाह का प्रतीक माना जाता है जो बरात स्वरूप निकलती है ।गौरा गौरी की मूर्तियां के साथ काशी का ध्वज शिव के त्रिशूल होने का संकेत देता है। सुबह से ही गौरा को जगाने का काम किया जाता है।दोपहर बाद तक तालाबों में विसर्जन का सिलसिला चलता रहा ,इसे देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किये गए थे 

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