राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को सभी ने सराहा


संत-महात्मा एवं हिन्दूवादी संगठनों के पदाधिकारियों ने किया निर्णय का स्वागत

 


सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पूर्व एवं बाद में पुलिस की रही पैनी नजर

 

वृंदावन। प्रमेन्द्र अस्थाना
अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय से पूर्व एवं बाद में शहर में शांति और सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से पुलिस प्रशासन सक्रिय है। कोतवाली प्रभारी के नेतृत्व में शहर के चप्पे-चप्पे पर फुलिस फोर्स तैनात रहा । वहीं लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को आपसी भाईचारा, सौहार्द बनाए रखने एवं अफवाहों पर ध्यान न देने का आह्वान किया जाता रहा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर पर दिए जाने वाले निर्णय के मद्देनजर शहर में किसी तरह की शांति व्यवस्था भंग न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन ने फुल प्रूफ इंतजाम कर रखे थे। कोतवाली प्रभारी संजीव कुमार दुबे के निर्देशन में सभी पुलिस चौकी प्रभारियों. डायल 100 एवं चेतक मोबाइल पुलिस समेत थाने के फोर्स द्वारा शहर के सभी मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों समेत मंदिरों के आसपास एवं तिराहा-चौराहा पर पैनी नजर रखी।
कोतवाली प्रभारी द्वारा गश्त के दौरान सभी नगर वासियों को निर्णय आने से पूर्व एवं बाद में शांति व्यवस्था बनाए रखने, आपसी सौहार्द और भाईचारा कायम रखने एवं अफवाहों के बचने का आह्न किया जाता रहा।
वहीं आनंद वाटिका में सनातन संस्कार धाम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता साफ करने के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए सु्प्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत बैंच के अन्य सदस्य जजों के प्रित आभार जताया। कहा कि राम मंदिर मुद्दे पर वर्षों से चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है। कहा कि यह फैसला देश में एकता और अखंडता को और मजबूत करने वाला है। यह निर्णय हिन्दू मुस्लिम समाज के बीच बढ़ती खाई को पाटने का काम करेगा।

इस अवसर पर आचार्य रामविलास चतुर्वेदी, बिहारीलाल वशिष्ठ, आचार्य बद्रीश, उपेंद्र त्रिपाठी, नरेंद्र मिश्रा, प्रदीप शास्त्री, रामरतन शास्त्री, सिद्धार्थ शास्त्री, होहित शास्त्री राम शास्त्री आदि उपस्थित थे।
धर्म रक्षा संघ की एक बैठक परिक्रमा मार्ग स्थित राधाप्रसाद धाम पर आयोजित हुई। जिसमें संतों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।

राष्ट्रीय संयोजक आचार्य बद्रीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही संयमित फैसला दिया है, जिसे किसी भी पक्ष को हार या जीत के रूप में नहीं लेना चाहिए। श्यामसुंदर गौतम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे अन्य मामलों को निपटाने में मील का पत्थर साबित होगा। अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई सदी पुराने विवादित मामले को निपटाकर करोड़ों लोगों के सपने को साकार किया है। महंत मोहिनीबिहारी शरण ने कहा कि इस फैसले से देश की एकता, अखंडता और भाईचारा मजबूत होगा।
इस अवसर पर देवेंद्रनाथ गोस्वामी, गोपेश गोस्वामी, जगदीश चैधरी, श्रीनाथ गोस्वामी, चेतन लवानियां, रामगोपाल शर्मा, काष्र्णि नागेंद्र महाराज, बच्चू सिंह, चैधरी, श्रीदास प्रजापति, रघुवर दास, ललित गिरि, रामबहादुर, अभिषेक शर्मा आदि उपस्थित थे।
ब्राह्मण महासभा ने भी फैसले पर हर्ष जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा के प्रति आस्था और अटल विश्वास बनाए रखने वाला करार दिया है। संरक्षक सुरेशचंद शर्मा एवं अध्यक्ष महेश भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपेक्षित न्याय देकर प्रेम और सौहार्द का वातावरण बनाया है। अब केंद्र सरकार को जल्द से जल्द ट्रस्ट का निर्माण कराकर भव्य मंदिर का निर्माण कराना चाहिए।
इस अवसर पर पार्षद राधाकृष्ण पाठक, कपिलदेव उपाध्याय, जगदीश नीलम, दयाशंकर शर्मा, राजेशकृष्ण शर्मा, राजनारायण द्विवेदी, कृष्णनारायण ब्रजवासी, गोविंद पचैरी, तुलसीनाथ शर्मा, अजयबिहारी शर्मा, बंशी तिवारी, संदीप शास्त्री, डा. सुनील, नागेश तिवारी, मोहन शर्मा, विश्वनाथ गौतम आदि शामिल थे।
ब्राह्मण सेवा संघ के संस्थापक चन्द्रलाल शर्मा एवं अध्यक्ष आचार्य आनंदवल्लभ गोस्वामी ने श्रीराम जन्मभूमि प्रकरण में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये निर्णय का स्वागत करते हुए देशवासियों से आपसी सौहार्द एवं भाईचारे को बनाये रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की न्यायपीठ ने सदियों पुराने विवाद को समाप्त करते हुए जो निष्पक्ष और संतुलित निर्णय दिया है उससे विश्व पटल पर भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को और भी गौरव प्राप्त हुआ है।


साध्वी ऋतंभरा
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि वे इस निर्णय को सुनकर बहुत आनंदित हैं। इतना बड़ा परिश्रम और तप भगवान श्रीराम की कृपा से सफल हो सका है। राम की कृपा से ही यह स्थान श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए प्रशस्त हुआ है। इस निर्णय के लिए वे देश को बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद देती हैं। साथ ही उन्होंने भक्तों से इस प्रसन्नता को उन्माद न बनाए जाने का आहवान किया। मुस्मिल समाज से निवेदन है कि हमारे पुरखे भगवान श्रीराम ही हैं, उनसे जुड़कर ही उनका कल्याण होगा। यह जीत है न हार है यह सत्य की स्थापना है। इसके लिए हमारे पुरखों ने इतनी लंबी लड़ी, वे स्वयं भी इस संघर्ष की साक्षी रही हैं। इस निर्णय से उनके जीवन का उद्देश्य पूरा हो गया और वे स्वयं को कृतार्थ अनुभव कर रही हैं।


महंत फूलडोल बिहारीदास महाराज
अखिल भारतीय चतुः विरक्त वैष्णव परिषद के अध्यक्ष एवं विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल सदस्य महंत फूलडोल बिहारीदास महाराज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर जो निर्णय दिया है, वह सर्वमान्य है। इस निर्णय को सबको सम्मान देना चाहिए यह ऐतिहासिक निर्णय एवं सत्य की विजय है। सभी तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि अयोध्या में श्रीराम का जन्म हुआ था और अयोध्या राम की ही है। उन्होंने मुस्लिम पक्ष के एक अधिवक्ता द्वारा सुनवाई के दौरान की गई अभद्रता को दंड योग्य बताया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और उनकी बेंच के अन्य सदस्यों को बधाई के साथ ही धन्यवाद दिया।
स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज

उमा शक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय और सर्वमान्य है। न्यायाधीशों ने गंभीर चिंतन के बाद बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय दिया है। इससे देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी। बहुत समय से हिंदू-मुस्लिमों के बीच जो खाई बन रही थी, वह इस निर्णय से पटेगी। विश्व के सामने राम मंदिर का इतना पुराना मुद्दा बहुत बड़ी समस्या बनी हुई थी। इतने पुराने मुकदमे को 40 दिन की लगातार सुनवाई के बाद सुलझा लिया गया। इसके लिए सभी जज शुभकामना एवं सराहना के पात्र हैं। कहा कि इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री मोदी को भी शुभकामना देंगे, जो उनके कार्यकाल में इतने पुराने मुद्दे पर निर्णय आया। इस निर्णय के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई एवं बेंच के अन्य सदस्यों समेत हिंदू पक्षकारों के वकीलों का इतिहास में सम्मान होता रहेगा। कहा कि यह निर्णय न हिंदू का है, न मुसलमान का, यह देश का निर्णय है और शांति व सौहार्द का निर्णय है। कहा कि मंदिर आंदोलन में जो कारसेवक शहीद हुए, वे आज जिस भी योनि में होंगे, उन्हें बहुत शांति और सुख की अनुभूति हो रही होगी। कहा कि मंदिर निर्माण के समय उन शहीद हुतात्माओं के लिए एक शहीद स्मारक भी बनाया जाना चाहिए, ताकि राम मंदिर में आने वाले भक्त इन हुतात्माओं के भी दर्शन कर सकें और आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरणा मिल सके।
डा. उमाशंकर राही

तत्कालीन कारसेवक डा. उमाशंकर राही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश की भावनाओं एवं हिंदुओं की आस्था को देखते हुए निर्णय दिया है, जो बहुत स्वागत योग्य है। बेंच के पांचों सदस्य धन्यवाद के पात्र हैं। कहा कि इस निर्णय से उन्हें काफी हर्ष हो रहा है, क्योंकि वे सन् 1989 में उस जघन्य हत्याकांड के साक्षी रहे हैं, जब निर्दोष कारसेवकों को मौत के घाट उतार दिया गया था। कहा कि हिंदुस्तान में अगर हिंदू अपनी आस्था का सम्मान नहीं करेगा तो कहां जाएगा। वर्षों पुराना जो विवाद था, वह आज समाप्त हो गया है। अब वहां पर भव्य राम का मंदिर बने, लोग वहां आएं और दर्शन करें, यही हमारी कामना है।

अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बिहारीलाल वशिष्ठ का कहना है कि राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, वह काफी हर्ष का विषय है। इससे सनातन धर्म प्रेमी प्रेमी एवं हिंदू समाज में खुशी की लहर दौड़ रही है। साथ ही रामजन्म भूमि के अलावा मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का जो निर्णय दिया है, उससे हिंदू-मुस्लिम एकता मजबूत होगी। कहा कि कुछ मुस्लिम लोग भी चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने, लेकिन कुछ अराजक किस्म के मुस्लिम लोग वहां पर मस्जिद बनाने के लिए अड़े हुए थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही राम मंदिर का निर्माण होगा। यह देश-विदेश में रहने वाले सनातन धर्म प्रेमी हिंदुओं की विजय है।

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय संयोजक आचार्य बद्रीश ने कहा कि 400 वर्षों के विवादास्पद मुद्दे को आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी ही शालीनता एवं बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय तक पहुंचाकर करोड़ों हिंदुओं के दिल को जीत लिया है। इस निर्णय को देकर राष्ट्र को सही दिशा में ले जाने और देशप्रेमियों को आनंद प्रदान करने का कार्य किया है। इस मुद्दे को लेकर पिछले 400 वर्षों में कई बार विकट परिस्थितियां बनीं। पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने उसे बदलकर दूध का दूध और पानी का पानी कर ऐतिहासिक निर्णय दिया है। इसका सभी समाज और वर्गों के लोगों को सम्मान करना चाहिए।













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