सीएम की पाठशाला में छात्र-छात्राओं में सवाल पूछने की लगी रही होड़ : सवाल पूछने से ही व्यक्ति का विकास होता है :भूपेश बघेल

धरना-प्रदर्शन, हड़ताल में बंद नहीं होंगे शैक्षणिक संस्थान

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में होंगे वन-डे, अंतर्राष्ट्रीय मैच

 

रायपुर :

राजधानी रायपुर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने आज ’सीएम की पाठशाला’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल से सफलता, शिक्षा, सफल लीडर, गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा, परीक्षा के डर से उबरने जैसे विषयों पर रोचक सवाल पूछे। मुख्यमंत्री ने रोचक शैली और सहज-सरल भाषा में विद्यार्थियों के प्रश्नों के जवाब दिए। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद भी छात्र-छात्राओं में मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछने की होड़ लगी रही। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से कहा कि आप लोगों में सवाल पूछने की उत्सुकता है। यह जानकर मुझे अच्छा लगा। सवाल पूछने से ही व्यक्ति का विकास होता है। विद्यार्थियों को चाहिए कि जब तक उनके प्रश्न का जवाब ना मिल जाए तब तक कोशिश करते रहें।
    कार्यक्रम में एक छात्र ने मुख्यमंत्री से पूछा कि रायपुर में धरना, प्रदर्शन और बंद के दौरान स्कूलों में व्यवधान न हो। इसके लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है ? मुख्यमंत्री ने बताया कि जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि धरना, प्रदर्शन और हड़ताल के दौरान स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई में व्यवधान नहीं आए और विद्यार्थियों को असुविधा न हो। जबरदस्ती स्कूल-कॉलेज बंद कराने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
    एक छात्रा के प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि शासकीय स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को जिला स्तर पर आयोजित होने वाली खेल-कूद प्रतियोगिताओं में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नवा रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में वन-डे और इंटरनेशनल क्रिकेट मैच आयोजित करने की पहल की जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का बच्चों को भ्रमण भी कराया जाएगा। स्कूलों की छुट्टी के समय लगने वाले जाम के संबंध में प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि शाला प्रबंधन और जिला प्रशासन को स्कूलों की छुट्टी के समय कुछ अंतराल रखने के लिए व्यवस्था के निर्देश दिए जाएंगे। जिससे टैªफिक व्यवस्थित रहे।

 
    विद्यार्थियों ने सफलता की परिभाषा के संबंध में प्रश्न पूछे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्य निर्धारित करना और उसे हासिल करना ही सफलता है। लक्ष्य आप स्वयं निर्धारित करें। एक बार फेल होने पर कोई असफल नहीं होता। अपनी सफलता आपको खुद निर्धारित करनी चाहिए। सफलता के लिए जरूरी गुणों के संबंध में उन्होंने कहा कि सफलता के लिए स्व-अनुशासन जरूरी है। जब शारीरिक रूप से मजबूत रहेंगे, तभी स्वस्थ्य तन में स्वस्थ मन का वास होगा और अच्छे विचार आएंगे। सफलता के लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। मेहनत विवेकपूर्ण तरीके से समर्पण के साथ की जानी चाहिए।
    श्री बघेल ने शिक्षा के संबंध में कहा कि शिक्षा विद्यार्थियों को हुनरमंद बनाने वाली और उनकी प्रतिभा को निखारने वाली होनी चाहिए। शिक्षा विद्यार्थियों को व्यापक दृष्टिकोण देने वाली होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने सफल लीडर के संबंध में पूछे गये प्रश्न के सवाल में कहा कि जो समाज को दिशा दे, समाज सुधार के लिए जीवन समर्पित करे दे, जिसका समाज निर्माण में योगदान हो, जो समाज को जोड़कर रखे और जो समाज को आगे बढ़ाए। वही सही मायने में लीडर है। महात्मा गांधी और सुभाषचन्द्र बोस ने देश की सेवा की। वे हमारे लीडर हैं।
    एक छात्रा ने पूछा कि स्टूडेंट लाइफ में आप एक्जाम के टेंशन से कैसे उबरते थे। मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि अपने डर को आप स्वयं दूर कर सकते हैं। कोई दूसरा नहीं। सभी लोगों को किसनी ना किसी चीज से डर लगता है। राजनीतिज्ञ को चुनाव आने पर डर लगने लगता है, लेकिन डर के आगे ही जीत है। आप बुद्धि के साथ मेहनत करेंगे तो सफलता निश्चित मिलेगी और आत्म विश्वास बढ़ेगा। जब आत्म विश्वास आएगा तो कोई भी आपको पराजित नहीं कर सकेगा। उन्होंने कहा कि जब कोई समस्या आए तो घबराए नहीं उसके निदान के बारे में सोचें और जो सबसे अच्छा विकल्प है उस पर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि आपको जिन चीजों से डर लगता है उसकी सूची बनाएं और रोज सोने के पहले संकल्प लें कि मैं नहीं डरूंगा ऐसा करने पर आप अपने डर के बारे में सोचेंगे और उसे दूर करने का उपाय करेंगे। आपके डर का कारण आप ज्यादा बेहतर जानते हैं। इसलिए डर से उबरने में आपसे बढि़या दूसरा सहयोगी नहीं हो सकता।
    बच्चों ने मुख्यमंत्री से कुछ व्यक्तिगत प्रश्न भी पूछे। एक छात्रा ने पूछा कि आपको संघर्ष से सफलता मिली कैसा महसूस करते हैं। हम विद्यार्थी इससे क्या सीख सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं इस पद पर आऊंगा। यह मेरा लक्ष्य भी नहीं था। मेरा लक्ष्य जनसेवा, किसानों, गरीबों की सेवा था। मुझे जिम्मेदारी मिलती गई और मैं इस मुकाम तक पहुंचा। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि राजनीति हो या शिक्षा, व्यवसाय या उद्योग हो इसमे शार्टकट नहीं होता। हम जिस क्षेत्र में हो वहां कठोर परिश्रम करना चाहिए। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि ना तो मेरे माता-पिता ने मुझे डाक्टर, इंजीनियर बनने के लिए दबाव डाला और ना ही मैंने अपने बच्चों पर। विद्यार्थियों को स्वयं तय करना चाहिए कि आगे क्या बनना है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम  में लगभग डेढ़ हजार विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

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