चालीहा महोत्सव : 'टे' त्रिगुण स्वरूपाय ,'ॐ' निर्गुण निरुपणे ! 'टेऊँ' ब्रह्मभिद्यानाय नमस्तस्मै नमो नमः!!


धमतरी। 'टे' :-तीन गुणों के जो स्वरुप हैं , 'ॐ' :- जो तीन गुणों से परे निर्गुण निराकार हैं ऐसे ब्रह्म स्वरुप सदगुरु  टेऊँराम जी महाराज को हमारा प्रणाम है ! प्रणाम है ! प्रणाम है ! ऐसे ब्रह्म स्वरुप वंदनीय गुरु-बाबा के जन्मोत्सव का 24 वाँ  दिन भी धमतरी के सिंधी समाज के गुरुभक्तों ने अपने अपने घरों में नित्य की भांति प्रार्थनाष्टक ,कष्ट निवारण अष्टक एवं स्वामी टेऊँराम चालीसा पाठ के साथ भजन कीर्तन करते हुए एक सुमधुर भजन का गायन कर मनाया। इस भजन की रचना प्रेम प्रकाश मण्डल के वर्तमान पीठाधीश्वर पूज्य सद्गुरु स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज ने की है 
*हलु अमरापुर में प्यारे, तुहिंजा सतगुरु कारज सँवारे!।
 
इस भजन में सद्गुरु स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज ने पूज्य आचार्य श्री जी के साथ साथ पावन अपरापुर दरबार एवं पूजनीय गुरुजनो की महिमा को भी संजोकर संवारा है।इस भजन में बताया है कि गुरुभक्तों के अमरापुर  दरबार में आकर दर्शन करने से उनके सभी मनोकामनाएँ  सुगमता से पूर्ण होती  हैं ।पूज्य आचार्य श्री सद्गुरु स्वामी टेऊँराम महराज के दर्शन मात्र से सभी दुःखों व क्लेशों का निवारण हो जाता है द्वितीय पीठाधीश्वर  पूज्य सद्गुरु स्वामी सर्वानंद जी महाराज अशक्त , अनाथ  व दीन-हीनो को सहारा देने में सदैव अग्रणी हो उन्हें भवसागर से पार कर देते हैं ।
 
तृतीय पीठाधीश्वर पूज्य सद्गुरु स्वामी शान्ति प्रकाश जी महाराज की सूरत में ही इतनी कशिश है कि उनके दर्शन मात्र से ह्रदय में शान्ति व संतोष की अनुभूति होती है।चतुर्थ पीठाधीश्वर पूज्य सद्गुरु स्वामी हरिदास राम जी महाराज , जो हरि के रंग में रंगे हुए हैं उनके दर्शन मात्र से ही  मन की संशयों एवं  चिंताओं रूपी तपिष (गर्मी ) दूर होकर ज्ञान व संतोष रूपी आनन्द दायक शान्ति की ठंढक का अनुभव होने लगता है ।“अमरापुर दरबार ऐसे महानतम सन्तजन , योगियों व महापुरुषों का उदगम स्थान है”।
 

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