रायपुर।  पीढि़यों से वनक्षेत्रों में निवासरत जनजातीय परिवार वहां की जमीन पर खेती-बाड़ी सहित जीवन-यापन के विभिन्न काम करते रहे हैं। जमीन पर मालिकाना हक न होने और उनके पास किसी प्रकार का दस्तावेज न होने से इन परिवारों को हमेशा बेदखली का डर लगा रहता था। छत्तीसगढ़ सरकार ने हजारों ऐसे परिवारों को वन अधिकार-पट्टा देकर उनकी चिन्ता दूर कर दी है। इससे बरसों से वन क्षेत्रों में बसे  वनवासियों का खुद की जमीन का सपना साकार हो गया है। इनमें मुंगेली जिले के विकासखंड लोरमी के ग्राम झिरिया निवासी बैगा जनजाति के किसान श्री समारू पिता बैसाखू और श्रीमति बिरसू पति स्व. अधरू भी शामिल हैं जिन्हें उनके द्वारा काबिज वनभूमि का वन अधिकार पट्टा मिलने से उन्नति का एक मजबूत आधार मिल गया है। 
    श्री समारू ने बताया कि वन ग्राम झिरिया में उनके पिता लगभग ढाई एकड़ वन भूमि में कृषि कार्य करते थे,इसके बाद वहां उनके द्वारा खेती की जा रही है। लेकिन उनके पास काबिज वन भूमि का कोई दस्तावेज नही था। दस्तावेज नहंी होने पर उन्हंे वन भूमि से बेदखली की चिन्ता हमेशा बनी रहती थी, इससे वे निश्चिन्त होकर खेती का कार्य नहीं कर पाते थे। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा वनवासियों को उनके द्वारा काबिज भूमि पर वनअधिकार पट्टा देने का संवेदनशील निर्णय लिया है। उनकी इस पहल से उनका और उनके परिवार का वर्षो पुराना सपना साकार हो गया है। उनके पिता द्वारा काबिज वन भूमि का पट्टा उन्हें मिल गया है। इससे वेे बहुत खुश हैं और चिन्ता मुक्त होकर खेती कर रहे हैं। पट्टा मिल जाने से अब वह पट्टे के आधार पर बैंक से अन्य व्यवसाय के लिए भी ऋण ले सकेंगे। इससे उन्नति के कई रास्ते खुलेंगे। इसी तरह बिरसू ने बताया कि उनके पति स्व. अधरू बैगा द्वारा लगभग ढाई एकड़ वन भूमि में कृषि कार्य किया जाता था। उनकी मृत्यु के बाद अब वह वहां पर खेती-किसानी का काम करती हैं। उन्हें वन भूमि से बेदखली की चिन्ता सताएं जा रही थी। ऐसे समय मंे प्रदेश के मुखिया श्री बघेल द्वारा वन अधिकार पट्टा देने के निर्णय से उन्हें बहुत राहत मिली। अब वन भूमि का पट्टा मिल जाने से वह बहुत खुश हैं। इसके लिए उन्होने मुख्यमंत्री  के प्रति आभार व्यक्त किया है।