30 साल पुरानी टीवी की हो रही है चोरी, आखिर किस लालच में हैं चोर

 



भूपेंद्र साहू

धमतरी।नगरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत फंरसिया के पंचायत भवन में सोमवार की रात चोरी की दूसरी घटना सामने आई है। इसी सप्ताह आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में चोरों ने चोरी की घटना को अंजाम दिया था। फिर 48 घंटे के भीतर ग्राम पंचायत में दूसरी चोरी की घटना को अंजाम दिया गया है। वह केवल 90 के दशक क्रॉउन टीवी पार्ट्स की चोरी करते जा रहे हैं। आशंका यह जताई जा रही है कि  90 के दशक की टीवी जिसमें रेट मरक्यूरी होने की अंदेशा लगाया जा रहा है।अफवाह है कि उसकी आज मार्केट वैल्यू करोड़ों में है। ऐसा लगता है अज्ञात चोर इसी झांसे में आकर लगातार चोरी की वारदात को अंजाम देते जा रहे हैं। हालांकि चोरों के उद्देश्य अस्पष्ट है। किन्तु इन चोरों का पकड़ा जाना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो गया है ,क्योंकि वनांचल क्षेत्र में इस प्रकार की घटना को बार-बार अंजाम दे रहे  इन चोरों की मंशा जानना बहुत ही जरूरी हो गया है।

 


रेड मर्करी को लेकर वायरल मैसेज

रेड मर्करी, इन दिनों इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया से लेकर कबाड़ियों के पास, हर रोज इसे खरीदने के लिए बोली लगाई जा रही है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि तीन दशक पहले बंद हो चुके टीवी-रेडियो (शटर वाले) में रेड मर्करी ट्यूब है, जिसकी मार्केट में लाखों रुपये कीमत  है।

सोशल मीडिया पर रेड मर्करी को लेकर दावा किया जा रहा है कि 30 से अधिक दशक के पहले के पुराने मोनोक्रोम टेलीविज़न में कंटेनर जैसे छोटे कांच की बोतल में यह तरल पदार्थ होगा। इसको लेकर कई तरह के दावें किए जा रहे हैं।कुछ के अनुसार, रेड मर्करी का उपयोग बम बनाने के लिए किया जा रहा है। वहीं, कुछ दावा कर रहे हैं कि COVID-19 को ठीक करने के लिए रेड मर्करी का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है।

क्या है रेड मर्करी?

रेड मर्करी को लेकर कई तरह के दावें किए गए हैं। यह एक तरह का तरल पदार्थ है। इसको लेकर कथित रूप से परमाणु हथियारों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली अनिश्चित रचना का एक पदार्थ बताया गया है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं है। लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं द्वारा संकलित रिपोर्ट से पता चलता है कि होक्सर्स और कॉनमैन के हाथों में, लाल पारा लगभग कुछ भी कर सकता है।


टीवी रिपेयरिंग एक्सपर्ट प्रहलाद आहुजा ने बताया कि 90 के दशक में जो शटर वाले टीवी आते थे उसमें रेड मरक्यूरी नहीं पाई जाती है ।इसके पूर्व लगभग 40 साल पहले वाल टीवी या ट्रांजिस्टर जो आते थे उसमें यह पाई जाती थी उसमें 8 वाल होते थे ।टीवी को ऑन करने के बाद वह लगभग 15 से 20 मिनट बाद उसमें पिक्चर उभरता था ।ज्यादातर शाम को ही कार्यक्रम आते थे तो गिने-चुने जगह पर यह टीवी मिलती थी और लोग इसे शाम को ही चालू करते थे ।इसके बाद जो 90 के दशक  वाली टीवी आई उसमें उसको हटाकर आईसी  सिस्टम लगाया गया था। अभी यह अफवाह है कि उस टीवी में रेड मर्करी पाई जाती है जिसकी कीमत बाजार में लाखों हैं इसी के चलते कई लोग कबाड़ टीवी को हजारों रुपयों में खरीदकर झांसे में आ रहे हैं।

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