सावन के पहले सोमवार को विश्व प्रसिद्ध कुलेश्वर महादेव मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

 


पवन निषाद

मगरलोड। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध प्रयाग राजिम में सावन के पहले सोमवार को शिव भक्तों का तांता लगा रहा है। सुबह से ही भक्तजन त्रिवेणी संगम के स्वच्छ जल में स्नान किए तथा सीधे बाबा कुलेश्वर नाथ मंदिर मे पहुंच कर जल चढ़ाए। 

मंदिर के महामंडप में पात्र रखा गया है जिसमें भक्तगण जल डाल रहे है। यहां पानी पाइप के सहारे सीधे शिवलिंग पर आकर गिर रहे है और इस तरह से जल अभिषेक हो रहा है।सोमवार शिव का वार माना जाता है इस लिहाज से इस वर्ष पूरे सावन मास में  चार सोमवार पड़ेगा।


 उल्लेखनीय है कि प्रयाग नगरी राजिम में शिव के अनेक मंदिर है तथा इन मंदिरों में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है विश्व का अनोखा एवं विरले शिवलिंग सोंढूर, पैरी एवं महानदी के संगम पर स्थापित है जिन्हें भक्तगण बड़ी श्रद्धा के साथ पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव के नाम से संबोधित करते है। बताया जाता है कि त्रेता युग में दशरथ पुत्र राम लक्ष्मण एवं उनके पुत्र वधू सीता वनवास काल के दौरान नदी मार्ग से होते हुए ब्रह्म ज्ञानी लोमश ऋषि से मिलने के लिए उनके आश्रम तक पहुंचे थे। यहां चौमासा रुककर उपस्थित आसुरी शक्तियों का समूल नाश किया। इस दौरान जगत जननी माता सीता संगम में स्नान करने के पश्चात रेत से शिवलिंग बनाकर  पूजा-अर्चना की। 


कालांतर में यही बाबा कुलेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। संगम के बीच में इसकी मंदिर अपने आप में पूरी दुनिया में एक विलक्षण उदाहरण है। जानकारी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ है। मंदिर 17 फुट ऊंची जगती तल पर स्थापित है यहां दो गर्भगृह है पहले गर्भगृह में बाबा कुलेश्वरनाथ महादेव विराजमान है सामने महामंडप  खंभों के सहारे टिका हुआ है जिसमें शिव  के परिवार के साथ ही भैरव बाबा उपस्थित है। सामने नंदी पालथी मारकर बैठे हुए है दूसरे गर्भगृह में जगत जननी मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर पर दर्शन के लिए तीन ओर से सीढ़ियों का निर्माण किया गया है तथा अनेक प्राचीन मूर्तियां मंदिर की सुंदरता पर चार चांद लगाए हुए हैं।

 पुजारियों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले शिवलिंग पर सिक्का डालने से ओम की ध्वनि सुनाई देती थी। वहीं फल फूल अक्षत द्रव्य अंदर से ही नदी में जाकर मिल जाती थी। बाद में उस छिद्र को बंद कर दिया गया। प्राचीन कथा के मुताबिक एक राजा जिनके कोई संतान नहीं थी वह अनेक जगहों पर जाकर तीर्थ यात्रा की और प्रार्थना किया लेकिन उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। वह थक हार गया और एक कोने में जाकर बैठ गया। एक महात्मा से उनकी मुलाकात हुई उन्होंने कमलक्षेत्र जाने का युक्ति बताया। पैदल चलते हुए राजा रानी दोनों जैसे कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर पर पहुंचे और 100 बिल्वपत्र चढ़ाएं इससे इनके 100 पुत्र हुए। ऐसे अनेक चमत्कारिक तथा मनोकामना को पूर्ण करने वाले बाबा भोलेनाथ के भक्त यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और बिल्वपत्र केसरिया धतूरा ,दूध दही, फल ,फूल शक्कर सुगंधित तेल ,सरसों तेल आदि चढ़ाकर प्रसन्न किया जाता है।


 खासतौर से सावन मास में कांवरिया बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और जल से जलाभिषेक करते हैं पिछले वर्ष लॉकडाउन के कारण कांवरिया भाई बहन शिव को जलाभिषेक करने के लिए उपस्थित नहीं हो पाए थे इस बार शिव भक्तों में बड़ी उत्साह है कि वह बाबा भोलेनाथ का दर्शन पूजन करेंगे। अभी नदी में जलस्तर कम है जिससे आसानी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। जलस्तर बढ़ने के बाद मंदिर में पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि प्रदेश शासन द्वारा एक बड़ी राशि खर्च कर लक्ष्मण झूला (सस्पेंशन ब्रिज) बनाया गया है। परंतु अभी इनका उद्घाटन नहीं हुआ है जिनके कारण भक्तगण इस ब्रिज का उपयोग नहीं कर सकते। बरसात के पूरे 4 महीने तक भक्तों को भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए बाढ़ के कम ज्यादा होने का इंतजार करना पड़ेगा। श्रद्धालुओं को उम्मीद थी कि इस ब्रिज के बरसात लगने से पहले उद्घाटन हो जाएंगे लेकिन उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। इस नगरी में अनेक शिवलिंग है जिनमें प्रयाग नगरी का सबसे बड़ा शिवलिंग भूतेश्वर नाथ महादेव, पंचेश्वर नाथ महादेव, राज राजेश्वर नाथ महादेव, दान दानेश्वर नाथ महादेव, बाबा गरीबनाथ महादेव, सोमेश्वर नाथ महादेव सहित अनेक शिवलिंग स्थापित है जहां प्रतिदिन भक्तों का रेला लगा रहता है।

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