जाति-भेद का धर्म से लेना-देना नहीं यह सिर्फ बदनाम करने की साजिश:आचार्य युगल किशोर

 


कोरर में श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य युगल किशोर ने रखे विचार 


कोरर। कोरर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया है। गुरुवार को आचार्य युगल किशोर शर्मा ने मंगलाचरण के साथ कथा की शुरुआत की। उन्होंने यहां मौजूद लोगों से आह्वान किया कि वाणी, व्यवहार में संयम बरतें और अपने जीवन में मंगल आचरण को स्थान दें।

आचार्य युगल किशोर शर्मा ने कहा कि जातियों का भेद समाज में वैमनस्यता फैला रहा है। अक्सर जातिवाद, छुआछूत और सवर्ण-दलित के मुद्दे को लेकर धर्मशास्त्रों को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह सरासर गलत है। इस मुद्दे पर धर्म शस्त्रों में क्या लिखा है यह जानना बहुत जरूरी है क्योंकि इस मुद्दे को लेकर हिन्दू सनातन धर्म को बहुत बदनाम किया गया है और लगातार किया जा रहा है। सनातन धर्म ने तो हमें वर्ण व्यवस्था दी थी। इसमें कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार कुछ भी बन सकता था।

जैसे वेद व्यास ब्राह्मण नहीं थे पर उन्होंने वेदों की रचना की और ऋषि कहलाए। यह सिर्फ एक उदाहरण है। धर्मग्रंथों में ऐसे ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे। समय के साथ योग्यता की जगह वंशवाद ने ले ली और यहीं से जातियां अस्तित्व में आईं। धीरे-धीरे एक ही तरह के कार्य करने वालों का समूह बनने लगा और यही समूह बाद में अपने हितों की रक्षा के लिए समाज में बदलता गया। उक्त समाज को उनके कार्य के आधार पर पुकारा जाने लगा। ऐसे कई समाज निर्मित होते गए जिन्होंने स्वयं को दूसरे समाज से अलग करने और दिखाने के लिए नई परम्पराएं बना लीं। सभी ने अपने-अपने कुल देवता अलग कर लिए। अपने-अपने रीति-रिवाजों को नए सिरे से परिभाषित करने लगे। आज लोग जाति की राजनीति करना चाहते हैं इसलिए वह जातिवाद को बढ़ावा देते हैं और दोष धर्म पर मढ़ते हैं। जरूरत है कि हम अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन करें। उसका सही अर्थ समझें। आधी-अधूरी जानकारी के साथ बहस कर अनर्गल टिप्पणियां न करें। इस दौरान कथा के मुख्य आयोजक बीरेश ठाकुर, प्रफुल्ल ठाकुर आदि मौजूद रहे।



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