वतन जायसवाल
रायपुर। यूक्रेन-रूस युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय छात्र नवीन के पिता शेखरप्पा का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके बेटे को प्री यूनिवर्सिटी कोर्ट में 97% अंक मिले थे, लेकिन जातिगत आरक्षण की वजह से उसे सीट नही मिल पाई। इसलिए उसे यूक्रेन पढ़ने के लिए भेजा था।
जवान बेटे की असामायिक मृत्यु से आहत नवीन के पिता शेखरप्पा ने कहा, “हमारे कुछ सपने थे जो अब बिखर गए हैं। मेरा बेटा जिसने प्री यूनिवर्सिटी कोर्ट में 97% अंक हासिल किये थे, एक टैलेंटेड बच्चा था जिसे सिर्फ यहाँ के सिस्टम की वजह से बाहर पढ़ने जाना पड़ा। जिसमें प्राइवेट एजुकेशन इंस्टिट्यूट आपकी पहुँच से बाहर होते हैं। मैंने पता किया था मुझे किसी भी मेडिकल कॉलेज में उसका एडमिशन करवाने के लिए 85 से 1 करोड़ देने थे। तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे को यूक्रेन भेजूँगा। लेकिन वो तो मुझे और ज्यादा महंगा पड़ गया।”
अपनी बात रखते हुए उन्होंने भारतीय शिक्षा क्षेत्र में लागू आरक्षण नीतियों पर भी वार किया। शेखरप्पा ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील की कि वो लोग इस मामले में देखें। वह कहते हैं, “डोनेशन आदि बहुत बेकार चीजें हैं। इसी के चलते इंटेलीजेंट बच्चे पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। यहाँ जगह पाने के लिए करोड़ों माँगे जाते हैं।
ऐसे में विदेश में वही शिक्षा बल्कि अच्छी शिक्षा वो भी बढ़िया उपकरणों के साथ मिलती है। यहाँ भारत में सिर्फ जाति के आधार पर मिलती हैं सीटें। मेरे बेटे के 97 फीसद पीयूसी में आए थे।”
एक टिप्पणी भेजें