Video:लुप्त होते पोला त्यौहार की परंपरा को जीवित रखने का यह है अनोखा तरीका....

 


भूपेंद्र साहू

धमतरी। छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार पोला शनिवार को धूमधाम से मनाया गया। हालांकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अब वह उत्साह नहीं देखा जाता जो पहले देखा जाता था। पहले सुबह से ही बच्चे अपने मिट्टी के बैल चक्कों में गोटी डालकर निकल पड़ते थे। लड़कियां पोरा जांता खेलने में व्यस्त रहती थी। अब वो देखने को नहीं मिलती है। कह सकते हैं कि यह विलुप्त होने के कगार पर है।


 लेकिन इस परंपरा को जीवित रखने का भी एक अनोखा तरीका दिखा। शनिवार शाम को विंध्यवासिनी मंदिर रोड में लाइटिंग के बीच एक गाड़ी को बच्चे चलाते हुए गुजर रहे थे। उनके सामने बाकायदा दो बच्चे बाजा बजाते हुए भी चल रहे थे। एमटीआई संवाददाता ने जब देखा तो बच्चों से पूछा।


 उनके साथ राजकमल कश्यप भी चल रहे थे। उन्होंने बताया कि आज यह परंपरा लोग भूलते जा रहे हैं उसको जीवित रखने के लिए, बच्चों में इसका उत्साह बढ़ाने के लिए उन्होंने नांदिया बेला खरीदा और पूरा लाइटिंग कर गाड़ी बनवाया। इसे विंध्यवासिनी मंदिर से होते हुए रामपुर वार्ड में भ्रमण के बच्चों के लिए बाजा भी लगाया था ताकि बच्चे संस्कृति से जुड़े रहे।





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