अत्यधिक गरीबी और अमीरी दोनों ही गम्भीर बीमारी का कारण: डॉ. ए. के. द्विवेदी
इन्दौर।
 कोविड19 महामारी से देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया लाॅकडाउन थी। हालाँकि 
कहीं-कहीं अब स्थिति सामान्य होने लगी है किन्तु जनमानस में अभी भी संक्रमण
 का भय व्याप्त है। लाॅकडाउन से उत्पन्न आर्थिक विपन्नता सामान्य जन के 
लिये मुख्य समस्या का कारण बन गया है। चोरी, डकैती जैसे गम्भीर आपराधिक 
मामलों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।
स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था
Economy
 की चुनौती पूरे विश्व में है। ऐसी स्थिति देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, 
इन्दौर के स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक विभाग के मुख्य डाॅ. पी.एन. मिश्रा द्वारा 
स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को लेकर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के 
मुख्य वक्ता डाॅ. ए.के. द्विवेदी सदस्य वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड आयुष 
मन्त्रालय भारत सरकार, डाॅ. वैभव चतुर्वेदी सहायक प्राध्यापक इण्डेक्स 
मेडिकल काॅलेज, डाॅ. ज्ञान प्रकाश एवं डाॅ. रेखा आचार्य द्वारा वैश्विक 
संकट स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था विषय अपने विचार व्यक्त किये।
आयुष
 मन्त्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने बताया कि आप जैसे-जैसे गरीब होते जाते हैं चिकित्सा सुविधायें आप से दूर होती 
जाती हैं। कई ऐसी बीमारियाँ हैं जो अत्यधिक गरीबी के कारण होती हैं, चाहे 
वह स्टारवेशन अथवा माल न्यूट्रिशन को ले लिया जाय या फिर त्वचा रोग, 
प्राॅपर ग्रोथ का नहीं होना इत्यादि। गरीबी के कारण लोग मेडिकल बीमा नहीं 
करा पाते हैं और उसके कारण चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना मुश्किल हो जाता 
है। कैंसर के गरीब मरीज आॅपरेशन के बाद महगी कीमोथेरेपी नहीं करा पाते और 
पुनः बीमार हो जाते हैं। इसी प्रकार से अत्यधिक अमीरी भी अपच, कब्ज, सुगर, 
बीपी, हाॅर्ट अटैक जैसी बीमारियों का मूल कारण बनती जा रही है।
इण्डेक्स
 मेडिकल काॅलेज के सहायक प्राध्यापक डाॅ. वैभव चतुर्वेदी ने बताया कि, 
स्वस्थ होने का मतलब मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी है। अगर हम मानसिक रूप 
से स्वस्थ होंगे तो हमारे काम करने की गुणवत्ता बढ़ेगी, अच्छे से काम 
करेंगे। शुरूआती लक्षण की पहचान जरूरी है, जैसे छोटी-छोटी बातों को लेकर 
चिड़चिड़ा होना, शरीर में दर्द होने लगना, अनिद्रा, काम करने में मन न लगना, 
पढ़ाई करने में दिक्कत आना, माइग्रेन के अटैक बढ़ जाना, हर चीज की चिंता होने
 लगना, मेरा क्या होगा, सब व्यर्थ है, आत्महत्या के विचार आना आदि ऐसे 
ख्याल आयें तो आप किसी मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लें। चिकित्सकीय सलाह हेतु 
संकोच या शर्म का अनुभव नहीं करना चाहिये, क्योंकि जो व्यक्ति इन विचारों 
से जूझ रहा होता है बस वही इसकी तीव्रता को समझता है। इन सब विचारों को 
रोकने के लिये लोग शराब का सेवन करने लगते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. पी.एन. मिश्रा तथा संचालन एवं आभार डाॅ. आकांक्षा सिंघी ने किया।

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