मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुरिया दरबार में खोला सौगातों का पिटारा : मांझी-चालकी सहित अन्य पदाधिकारियों का मानदेय बढ़ाने की घोषणा

  

रायपुर :

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार में सौगातों का पिटारा खोला। उन्होंने यहां बस्तर दशहरा के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मांझी-चालकी सहित विभिन्न पदाधिकारियों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा कर दिल जीत लिया।
    मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष  दीपक बैज द्वारा उठाई गई मांगों पर 20 घोषणाएं कीं। उन्होंने सभी मांझी चालकियों से वन अधिकार पट्टे के लिए आवेदन लेकर उन्हें 6 माह के भीतर पट्टा देने की घोषणा की। इसी प्रकार मांझियों का मानदेय 1350 से बढ़ाकर 2000 रूपए प्रतिमाह, चालकियों का मानदेय 675 रूपए से बढ़ाकर एक हजार रूपए, कार्यकारिणी मेम्बरीन का मानदेय एक हजार से बढ़ाकर 11 सौ रूपए, और साधारण मेम्बरिनों को 15 सौ रूपए वार्षिक मानदेय, 21 पुजारियों का मानदेय 3 हजार से बढ़कार 3500 रूपए, गुरूमाय और भंडारदेवी पुजारी, मुण्डा बाजा वादक, मोहरी बाजा वादक और पूजा करने वाले सात सदस्यों को 1500 वार्षिक मानदेय, जोगी बिठाई करने वाले लोगों को 11 हजार रूपए, रथ निर्माण करने वाले दल को 21 हजार रूपए के मान से कुल 42 हजार रूपए की राशि दिए जाने की घोषणा की।इसी प्रकार उन्होंने मांझी-चालकी के रिक्त पदों पर 6 माह के भीतर भर्ती किए जाने और जगदलपुर के मांझी भवन का उन्नयन कराने और चालकी की मांगों पर 6 माह के भीतर पूर्ण करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि विश्व का सबसे लंबा पर्व मनाने का कीर्तिमान बस्तर के पास है। प्रतिवर्ष ढाई महीने तक मनाया जाने वाला यह पर्व इस वर्ष साढ़े तीन माह तक मनाया गया। बस्तर दशहरा हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया में सबसे अधिक समय तक चलने वाला पर्व है। यह आयोजन हिन्दुस्तान में ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय है, जिसे देखने बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं।उन्होंने बस्तर को आजादी पसंद बताते हुए कहा कि 1857 में आजादी की लड़ाई से काफी पहले यहां राजा गैंदसिंह को 1824 में फांसी दी गई थी। वर्ष 1857 में विद्रोह की ज्वाला बस्तर से निकली’।


    छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह सहित सभी सपूतों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर ने देश की आजादी में विशेष भूमिका निभाई। श्री बघेल ने कहा कि मुरिया दरबार में आकर उन्हें काफी प्रसन्नता हो रही है। इस आयोजन में दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोण्डागांव और कांकेर से आदिवासी समाज के लोग शामिल होने आते हैं। मुरिया दरबार में समारोह के अलावा समाज उन्नति पर भी विचार विमर्श होता है यह सराहनीय है। यह समाज प्रकृति के साथ स्वतंत्रता पूर्वक रहने वाला समाज है। बस्तर दशहरा के लिए रथ निर्माण हेतु पेड़ कटाई की भरपाई के लिए वृक्षारोपण के संकल्प की मुख्यमंत्री ने प्रशंसा की।

 


    मुख्यमंत्री ने गरीब, आदिवासी एवं किसान हितैषी नीतियों के बारे में कहा कि राज्य में नई सरकार के गठन के बाद किसानों की ऋण माफी और 25 सौ रूपए में धान खरीदी की गई। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए धान, मक्का और गन्ना किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की राशि दे रहे हैं। इसकी दो किस्त दे चुके हैं। तीसरी किस्त एक नवंबर को देंगे। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल के दौरान इस महापर्व के सफल आयोजन के लिए बस्तर दशहरा समिति और जिला प्रशासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस पर्व की सभी रस्मों का आयोजन करने के साथ ही सुरक्षा का भी भरपूर ध्यान रखा गया। इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण मंत्री एवं बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम एवं उद्योग मंत्री  कवासी लखमा ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया।

 

मुख्यमंत्री ने मांझी-चालकी, मेम्बर के साथ बैठकर भोजन किया


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