राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया सन्त समागम का शुभारंभ

 


 राजिम  मेला का समाजिक और धार्मिक महत्व है-सुश्री उइके


 कला, संस्कृति और साहित्य से आने वाली पीढ़ी को जोड़ें


  राजिम 6 मार्च 2021।  त्रिवेणी संगम राजिम के पुण्य तट पर 15 दिनों तक लगने वाले राजिम माघी पुन्नी मेला में  जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम का शुभारंभ  राज्यपाल  अनुसुइया उइके के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।  राज्यपाल ने  भगवान राजीवलोचन  और महानदी की पूजा आरती कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की ।इस अवसर पर धर्मस्व मंत्री  ताम्रध्वज साहू , अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू , राजिम विधायक  अमितेश शुक्ल ,संत विचार साहेब, सिद्धेश्वरानंद जी महाराज, उमेश आनंद  महाराज, देवदास  महाराज ,गोवर्धन शरण जी महाराज मंच पर विशेष रूप से मौजूद थे।


मुख्य मंच पर राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ की पवित्र नगरी राजिम में आयोजित माघी पुन्नी मेला में आकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है। धर्म, आस्था और संस्कृति के इस संगम राजिम माघी पुन्नी मेले में देश भर से आए साधु-संतों, श्रद्धालुजनों का मैं हार्दिक अभिनंदन करती हूं।


  राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का त्रिवेणी संगम है, जिसके कारण इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। राजिम छत्तीसगढ़ का प्रमुख धार्मिक स्थल है। उन्होंने कहा कि  किसी भी मेला का सामाजिक और सामुदायिक महत्व है, विभिन्न संस्कृतियों का मिलन होता है। साथ ही इसके माध्यम से नई पीढ़ी को परंपराओं का ज्ञान भी होता है।

भारत  देश साधु संतों की भूमि रही है। संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है। बाल्मीकी और अजामिल सहित इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जो साधु संतों की कृपा से उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया।  उन्होंने कहा कि राजिम पुन्नी मेले का सांस्कृतिक महत्व भी है। इस बार कोरोना काल के कारण कुछ आयोजन सीमित हुए है। इस मेले में लोकनाट्य और लोकनृत्य आयोजन होते रहे हैं। ऐसे आयोजन जनमानस को उनकी प्राचीन परंपराओ से जोड़े रखते हैं और नई पीढ़ी को उसका ज्ञान भी कराते है। 

आज आवश्यकता इस बात की बढ़ गयी है कि हम कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करें तथा ऐसे प्रयास करें जिससे हमारी कला, संस्कृति और साहित्य से आने वाली पीढ़ी जुडे़।  राज्यपाल ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने नदियों, सरोवरों और वृक्षों की महत्ता और उनके संरक्षण पर विशेष बल दिया। राज्यपाल ने लोगों से अपील की है कि कोरोनावायरस बचने के लिए अभी भी सावधानी बरतें और मास्क का उपयोग करें ।

धर्मस्व और जिले के प्रभारी मंत्री  ताम्रध्वज साहू ने कहा कि हम मेला को लगातार अच्छा बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि यहाँ स्थानीय पुरोहितों ने  पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ आरती की है। हमारी सरकार ने स्थानीय को ही ध्यान  में रखकर मेला के स्वरूप को बदला है। उन्होने कहा कि  हमने श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा है। मंत्री ने राजिम मेला के बारे में विस्तार से जानकारी दें। उन्होंने महाशिवरात्रि में सबको पुण्य स्नान के लिए आमंत्रित किया ।

इस अवसर पर अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू  ने राजिम की गरिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि यहां की संस्कृति, परम्परा और आस्था लोगो के जीवन शैली में शामिल है। पुरातन समय मे लोग अपने परिवार के साथ यहां आते थे और राजिम मेला का आनद लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मूल संस्कृति और परम्परा को आगे बढ़ा रही है । राजिम विधायक  श्री शुक्ल ने कहा कि राजिम की इस पवित्र भूमि से सदैव लगाव रहा है ।यहां की मिट्टी से वे रचे बसे है। उन्होंने कहा कि राजिम मेले की महत्ता इस क्षेत्र ही नही बल्कि  पूरे देश के लिए जाना जाता है।

कलेक्टर  श्री क्षीरसागर ने  अपने प्रतिवेदन में बताया कि अब तक करीब 3 लाख श्रद्धालुओं ने राजिम मेला में आकर कर दर्शन किये है।कोरोना संक्रमण से सावधानी बरतने प्रशासन द्वारा विशेष प्रयास किये गए है। मेला स्थल की साफ सफाई स्वच्छता दीदियों को जिम्मा सौंपा गया है । उन्होंने कहा कि मेला के लिए स्थाई जमीन का चिन्हित कर लिया गया है।

इस अवसर पर  राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, नवापारा के अध्यक्ष धनराज मध्यानी, जनपद पंचायत फिंगेश्वर के अध्यक्ष  पुष्पा साहू सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं कलेक्टर निलेश क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक  भोज राम पटेल , अपर कलेक्टर जे आर चौरसिया मौजूद थे ।

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