मुख्यमंत्री ने की घोषणा: बनेंगे 4 नए जिले, 25 नई तहसील आजादी का उल्लास हुआ दोगुना

 


‘मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना अब ‘श्री धन्वन्तरी योजना के नाम से जानी जाएगी


वतन जायसवाल

रायपुर। स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को खुशियों की सौगात दी है। कई इलाकों की दशकों पुरानी मांग पूरी करते हुए कुछ को जिला तो कुछ कल तहसील बनाया है। मुख्यमंत्री ने 4 नए जिला और 25 नए तहसील की घोषणा कर स्वतंत्रता दिवस के उल्लास को दोगुना कर दिया।


 राजधानी के पुलिस परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री ने राज्य में  25 नई तहसील और 4 नए जिले की घोषणा की।उन्होंने कहा लोगों की सुविधा के लिए जिला बेमेतरा में नांदघाट, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में सुहेला एवं भटगांव, जिला बिलासपुर में सीपत एवं बोदरी, जिला सूरजपुर में बिहारपुर, जिला, बलरामपुरटी में रामानुजगंज में चांदो, रघुनाथ नगर, डौरा-कोचली एवं कोटमी-सकोला, जिला रायगढ़ में सरिया एवं छाल, जिला कोरबा में अजगरबहार एवं बरपाली, जिला दुर्ग में अहिवारा, जिला उत्तर बस्तर कांकेर में सरोना एवं कोरर, जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में बारसूर, जिला कोण्डागांव में मर्दापाल एवं धनोरा, जिला जांजगीर चांपा में अड़भार, जिला बीजापुर में कुटरू एवं गंगालूर, जिला राजनांदगांव में लालबहादुर नगर और जिला सुकमा में तोंगपाल को नवीन तहसील बनाया जाएगा।


 श्री बघेल ने इस अवसर पर सक्ती, मनेन्द्रगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मोहला-मानपुर को जिला बनाने की घोषणा भी की। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले और तहसील में महिलाओं के लिए मिनी माता पार्क बनेगा। डॉयल 112 का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जाएगा। राजस्व संबंधी कामकाज की जटिलता से जनता को राहत दिलाने के लिए नामांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाएगा।प्रदेश की जनता को रियायती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना’ नगरीय क्षेत्रों में लागू है। अब यह ‘श्री धन्वन्तरी योजना’ के नाम से जानी जाएगी।

 ध्वजारोहण के बाद सीएम ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत ने दो शताब्दी से अधिक अंग्रेजों की प्रताड़ना सहा है। ग़ुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए भारत माता के हजारों हजार सपूतों और पुत्रियों ने अपना सर्वस्व परित्याग किया है। उन वीरों को याद करते ही हमारे नेताओं में अपने महान पुरखों का खून उबालने लगता है और उन सबके त्याग के बारे सोचकर आंखें नम हो जाती है।


 मुख्यमंत्री ने बताया कि 44 हजार से अधिक सामुदायिक और 2500 से अधिक सामुदायिक वन संसाधान अधिकार पत्र दिए हैं। 52 लघु वन उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदने की व्यवस्था की है। 500 करोड़ सालाना आदिवासी एवं वन आश्रित परिवारों को प्राप्त हों रहे हैं. विगत एक साल में 263 नए धान ख़रीदी केन्द्र खोला गया है। 20 लाख 53 हज़ार किसानों से 92 लाख मैट्रिक टन धान की ख़रीदी की गई। 244 करोड़ सिंचाई जलकर माफ़ किया गया।

श्री बघेल ने संबोधित करते हुए बोले मैं बहुत ही विनम्रता और भरे हुए दिल से कहना चाहता हूं कि कृषि मजदूरों की व्यथा को नहीं समझा जाना  आमानवीयता की श्रेणी में आएगा। मुझे संतोष है कि देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर साल भर होने वाले कार्यक्रमों में जब देश राष्ट्रीय पर्व का उल्लास मनाएगा तो उसमें हमारे छत्तीसगढ़ के मजदूर भी शामिल होंगे। जिन्हें राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन मजदूर न्याय योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत लगभग 10 लाख मजदूर भाई बहनों को ₹6000 सालाना अनुदान सहायता दी जाएगी।

ग्रामीण क्षेत्र में आबादी भूमि पर निवासरत लोगों को उसकी जमीन का हक दिलाने के लिए स्वामित्व योजना प्रारंभ की जाएगी। हर वर्ग के लोगों का अपनी जमीन अपना मकान और अपने सिर पर छाव का सपना जल्द पूरा करने के लिए हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं।

    जमीन की गाइडलाइन दरों में 30% कमी को आगामी 1 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। आवासीय भवनों के किराए पर पंजीयन शुल्क में 2% की कमी तथा महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराए जाने पर स्टांप शुल्क में 1% की अतिरिक्त छूट को भी जारी रखा गया है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के माध्यम से राजीव नगर आवास योजना लागू की गई है। हमें जो सार्वभौम पीडीएस का वादा किया था उसे भी प्राथमिकता से पूरा किया गया है जिसके कारण प्रदेश में 2 करोड़ 52 लाख लोगों को रियायती दर पर राशन सामग्री दी जा रही है और पीडीएस का कवरेज बढ़कर 99% हो गया है। मेरा मानना है कि बीमारी व आर्थिक तंगी के भंवर जाल में छोड़ देना हमारी बहनों और नवजात शिशुओं के साथ सबसे बड़ा अन्याय था। ईश्वर और प्रदेश की जनता को धन्यवाद, उनके आशीर्वाद से हमारी सरकार बनी और कुपोषण तथा एनीमिया से मुक्ति दिलाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के कारण प्रदेश में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या में 32% तक की कमी आ गई। लॉकडाउन के दौरान इस अभियान को जारी रखना बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन अपने काम के प्रति समर्पित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने इनका 51 हजार 583 केंद्रों में दर्ज 26 लाख 27 हजार हितग्राहियों को घर पहुंच रेडी टू ईट सामग्री प्रदान की और इस तरह के संकट की घड़ी में घर पहुंचकर अभियान को जारी रखा।


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