समूह की महिलाओं की पहल: दो एकड़ क्षेत्र में ऑक्सीजोन तैयार कर हरियाली बिखेर रहीं

 

ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन से अतिरिक्त आमदनी मिल रही


धमतरी 25 अगस्त 2021।

संगठन की शक्ति की मिसाल इन दिनों मगरलोड ब्लॉक की ग्राम पंचायत करेलीबड़ी के आश्रित ग्राम खट्टी में देखने को मिल रही है जहां की महिलाओं ने ऑक्सीजोन सह मिश्रित वृक्षारोपण कर न सिर्फ धरती की गोद में हरियाली बिखेर रही हैं, बल्कि उन्हें आजीविका का स्थायी साधन भी मिल गया है। वहीं ग्राम भेण्ड्री में ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन से ग्रीन आर्मी की महिलाओं को अतिरिक्त आय मिल रही है।

ग्राम पंचायत करेलीबड़ी के आश्रित ग्राम खट्टी में इन दिनों दूर तक हरियाली ही हरियाली नजर आती है। किसी समय में सिर्फ चराई का काम आने वाली भूमि में अब अलग-अलग किस्म की सब्जियों की खेती लहलहा रही है। महानदी के तट से लगे 2.05 एकड़ भूखण्ड पर ऑक्सीजोन मिश्रित वृक्षारोपण कार्य के लिए वर्ष 2019-20 में 7.18 लाख रूपए की स्वीकृति जिला पंचायत द्वारा दी गई, जिसे तीन साल की लीज पर यहां के जय मां भवानी स्वसहायता समूह को अनुबंधित कर यह काम दिया गया। यह ऑक्सीजोन फरवरी 2021 में तैयार हो गया, जिसमें 223 परिवार को मनरेगा के माध्यम से 193 रूपए प्रतिदिवस के मान से रोजगार मिला। समूह की महिलाओं के द्वारा यहां पर हल्दी, मिर्च, विभिन्न प्रकार की सब्जियों सहित प्याज की खेती की जा रही है। साथ ही वृक्षारोपण के तहत जामुन, अमरूद, आंवला, कटहल के अलावा अन्य मौसमी फलों के पौधे भी लगाए गए हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आय मिलेगी। समूह की महिलाएं उक्त कार्य से काफी प्रसन्न हैं और आजीविका के लिए इसे बेहतर जरिया बताती हैं।


कचरा बना समूह की कमाई का ठोस जरिया- इसी प्रकार मगरलोड के ग्राम भेण्ड्री में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से महिलाएं कचरे से कमाई कर रही हैं। दैनिक उपयोग के बाद निकलने वाले कचरों को अलग-अलग कर ग्रीन आर्मी की महिलाएं उनका संग्रहण कर रही हैं। इस संबंध में बताया गया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्य के लिए वर्ष 2020 में यहां पर 10.30 लाख रूपए की लागत से स्वच्छ भारत मिशन से अभिसरण कर शेड तैयार किया गया, जिसमें शेड तैयार करने के साथ-साथ चेनलिंक फेंसिंग व पेवर ब्लॉक का काम किया गया। महिलाओं ने घरों से निकले कचरों के अलावा यत्र-तत्र बिखरे कचरों का समुचित निष्पादन करते हुए उन्हें सेग्रिगेट किया। प्लास्टिक उत्पाद वाले कचरे को बेचकर तथा अपघटित होने वाले कचरे को नाडेप टांकों में डालकर खाद तैयार करने का कार्य महिलाओं ने किया। इसे किसानों को बेचकर वे अतिरिक्त आय भी अर्जित कर रही हैं। शेड के बन जाने से महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर कचरों को व्यवस्थित ढंग से अलग कर रही हैं। इस प्रकार समूह की महिलाओं को जहां ठोस अपशिष्ट पदार्थ के प्रबंधन की समुचित जानकारी मिली, वहीं उन्हें अब बारहमासी रोजगार मुहैया हो रहा है। इससे महिलाओं को स्थानीय स्तर पर आय का जरिया मिल गया।

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