नैचरोपैथी डे:नेपाल से आए मरीजों ने लिया स्टीम बाथ, शिरोधारा व मड बाथ का लाभ

 


कोरोना के बाद अनिद्रा और तनाव के मामले में बढोतरी, प्राकृतिक चिकित्सा के तीन दिवसीय निःशुल्क कैम्प का आयोजन

इन्दौर । ग्रेटर ब्रजेश्वरी स्थित नेचुरोपैथी अस्पताल में विगत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 18 नवम्बर को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर तीन दिवसीय निःशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन भी 20 नवंबर तक किया जा रहा है। शिविर के दौरान नेपाल से आए मरीजों ने निशुल्क स्टीम बाथ, शिरोधारा व मड बाथ सहित अन्य प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ लिया ।


शिविर उद्घाटन के मुख्य अतिथि शंकर लालवानी सांसद, इन्दौर थे।विशेष अतिथि अलका सोनकर अधीक्षक केन्द्रीय जेल, विशिष्ट अतिथी डॉ वैभव चतुर्वेदी व डॉ भूपेंद्र गौतम की मौजूदगी में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता ेआयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने की। इस दौरान मुख्य अतिथियों ने मिट्टी चिकित्सा को नजदीक से देखा एंव इसके फायदे जाने। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) के प्रति लोगों का रुझान दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कोरोना के बाद लोगों मंे अनिद्रा और तनाव के मामले तेजी से बढे है। नैचुरौपेथी इन बीमारियों से छुटकारा दिलाने में काफी मददगार साबित हो रही है। कोरोना के बाद से पिछले 6 माह मेें 500 से ज्यादा लोगो ने षिरोधारा कराई है ये प्राकृतिक उपाय तनाव कम करने में सहायक है।

उन्होने कहा कि आयुष चिकित्सा पद्धति आज के बदलते परिवेश में भारत सहित फ्रांस, चीन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, ताइवान, कनाडा, ब्रिटेन तथा इटली जैसे विकसित देशों के लोग एक बार फिर अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के हल के लिये प्राकृतिक चिकित्सा यानि नेचुरोपैथी की ओर रूख कर रहे हैं। डॉ. द्विवेदी का मानना है कि, इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट से जटिल रोगों का इलाज संभव हो सकता है।

मुख्य अतिथि शंकर लालवानी ने समाज हित किये जा रहे डॉ. ए.के. द्विवेदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, उनके ट्रीटमेंट की पद्धति का वर्षों से अनुसरण कर रहा हूँ, जिसका परिणाम भी बेहतर देखने को मिल रहा है।

विशिष्ट अतिथि व इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने बताया कि, सभी पैथियों का अपना विशेष महत्व है। इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट से मरीज को बहुत जल्द आराम मिलता है। आपने बताया कि, कोविड काल में परिस्थिति काल से डरे-सहमे, डिप्रेशन, एंजाइटी, बेचौनी व अनिद्रा के मरीजों को एलोपैथी के साथ-साथ नेचुरोपैथी ट्रीटमेंट की सलाह दी, जिससे उन्हें काफी आराम मिला।

विशिष्ट अतिथि  अलका सोनकर ने दादी-नानी के पुराने नुस्खे का महत्व उस समय नहीं समझ पाते थे और गये जमाने की बात लगती थी, लेकिन आज वही जीवन शैली हमें जीवनदान दे रही है।

कार्यक्रम के दौरान नेचुरोपैथी चिकित्सक, डॉ जितेंद्र पुरी, राकेश यादव, दीपक उपाध्याय, सुरेश चंद्र बजाज, सहित प्रदेश व नेपाल से आए मरीज मौजूद थे ।

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