डॉ. एके द्विवेदी को मिला 'मध्य प्रदेश रत्न" सम्मान

 


चंद दिनों में किया 'खूनी पसीना" जानलेवा बीमारी का इलाज

बिहार के दो वर्षीय बच्चे की अप्लास्टिक एनीमिया  से बचाई जान


भोपाल।जिन खतरनाक बीमारियों को ठीक करने में दुनिया की किसी भी पैथी और डॉक्टरों को सफलता नहीं मिल रही, होम्योपैथी के विशेषज्ञ ऐसी कई जानलेवा बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रहे हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के पूर्व सदस्य वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी ऐसे ही चुनिंदा डॉक्टर्स में से एक हैं जो घातक बीमारियों का शिकार हुए मरीजों को नई जिंदगी दे रहे हैं। होम्योपैथी से कई असाध्य जानलेवा बीमारियों के मरीजों को नया जीवन देने और सेवा कार्यों के लिए डॉ. एके द्विवेदी को मध्यप्रदेश रत्न अलंकरण समारोह 2022 में 'मध्य प्रदेश रत्न" से सम्मानित किया गया। 25 अप्रैल 2022 को भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर  में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल द्वारा डॉ. ए.के. द्विवेदी  को यह सम्मान प्रदान किया गया और डॉ वैभव द्वारा परिवार को मानसिक परेशानी से दूर करने में निभाई विशेष भूमिका के कारण उन्हें भी सम्मानित किया गया ।

अपने भोपाल प्रवास पर  उन्होंने  रक्त जनित गंभीर बीमारियों और उनके देश-विदेश में ठीक हुए मरीजों के बारे में जानकारी भी साझा की । 

मध्यप्रदेश प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. द्विवेदी ने उन दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी दी, जिसका  शिकार होने के बाद मरीज की जिंदगी को बचाना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन होम्योपैथी से वे ठीक हो चुके हैं और अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

बिहार के दो वर्षीय बच्चे की अप्लास्टिक एनीमिया  से बचाई जान

घातक बीमारियों का शिकार होने के बावजूद होम्योपैथी चंद महीनों में मरीज को ठीक करने में कारगर साबित हो रही हैं। इनमें एक मामला बिहार के दो वर्षीय बच्चे का है, जिसकी जान अप्लास्टिक एनीमिया होने के बाद खतरे में पड़ गई थी। मौलाबाग, भोजपुर निवासी नीरज कुमार के दो वर्षीय बेटे शिवांश को यह बीमारी हुई थी। कई शहरों में इलाज लेने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ। फिर उन्होंने डॉ द्विवेदी से संपर्क किया। कोरोना के समय यहां से वीडियो कॉल के माध्यम से इलाज शुरू हुई और चंद महीनों में वह ठीक हो गया।

दूसरा मामला इंदौर की ही लड़की का है जिसे शरीर से पसीने की जगह खून आता था। लम्बे समय से वह जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रही थी, लेकिन यहाँ कुछ ही महीने के इलाज के बाद वह भी ठीक हो गई।

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