देवारी में सुआ नाचने की परंपरा को जीवंत रखी है आमदी की मातृशक्ति, तरी हरी नहा ना रे, नाना मोर सुवा ना से गुंजा शहर

 



छत्तीसगढ़ की  संस्कृति, परंपरा एवं मान्यताएं ही हमारी पहचान है :प्रीतेश गांधी


धमतरी।दीपावली का पर्व भगवान  शंकर और पार्वती की शाश्वत रूप गौरा-गौरी की पूजा अर्चना के साथ ही उमंग, खुशी व उल्लास का पर्याय सुआ को टोकरी में लेकर मातृशक्तियों द्वारा गीत के साथ  नाचने की पुरातनकालीन परंपरा चली आ रही है. जिसे जीवंत बनाए रखते हुए नगर पंचायत आमदी की बहनें इंदिरा साहू ,बिसंतीन बाई ध्रुव, परमिला साहू, शांति साहू, थनवारिन बाई की टोली पिछले 15 वर्षों से शहर में आकर व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा घरों में जाते हुए दीपावली की खुशी में चार चांद लगा रही है।


सुआ नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की परंपरा को आगे बढ़ाने की समर्पित भावना को प्रोत्साहित करते हुए सर्व गुजराती समाज के प्रदेश अध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश विशेष आमंत्रित सदस्य प्रीतेश गांधी ने कहा कि वास्तव में आज छत्तीसगढ़ की पहचान जो अन्य राज्यों से हमें अलग करती है वह हमारी मान्यताएं संस्कृति तथा परंपराएं हैं जिसे वास्तव में जीवंत बनाए रखने के लिए इन मातृशक्तियों के योगदान आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी है. हमारी आने वाली पीढ़ी इन बहनों द्वारा आगे बढ़ा रहे परंपरा को आत्मसात करते रहेगी। 

इस अवसर पर समाजसेवी प्रकाश वाधवानी, नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष नरेंद्र रोहरा, पार्षद राजेंद्र शर्मा, ए के साहू , विजय सिंह ठाकुर, सौरभ गुप्ता, गोपाल साहू उपस्थित थे।



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