सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध

 


जैन समाज ने रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन

भूपेंद्र साहू

धमतरी।5 अगस्त को झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा झारखण्ड में गिरिडीह जिले के मधुबन में स्थित सर्वोच्च जैन शाश्वत तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी 'पारसनाथ पहाड़ को वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग घोषित कर "पारसनाथ वाइल्डलाईफ सॅकच्युरी एवं उसकी तलहटी को ईको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन व अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने वाली गजट नोटिफिकेशन कमांक: 2541 दिनांक 05.08.2019 को बिना जैन समाज से आपत्ति या सुझाव लिये जारी किया गया था। ना ही राष्ट्रिय समाचार पत्रों में आरंभिक अधिसुचना प्रकाशित की गई। संपूर्ण भारत वर्ष के जैन धर्म अनुयायी आहत है। 

 बुधवार को सम्मेद शिखर जी तीर्थ की रक्षा हेतु फैसले के विरोध में जैन समाज के द्वारा भव्य रैली प्रातः 10:30 बजे घड़ी चौक से प्रारंभ होकर सदर बजार जैन मंदिर होकर गांधी चौक पहुंची। गांधी मैदान में एसडीएम विभोर अग्रवाल ने आचार्य पूर्णानंद सागर से ज्ञापन लिया। रैली में शहर के बड़ी संख्या में जैन समाज के महिला, पुरुष, युवा, बच्चे शामिल हुए।


आचार्य पूर्णानंद सागर जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से जैन समाज को पीड़ा पहुंची है। सरकार अपने राजस्व के लिए यह कार्य कर रही है। जितना टैक्स जैन समाज देता है उतना कोई नहीं देता है। कोरोना के समय में भी समाज ने सेवा की है। सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हैं। राज्य सरकार मनमानी कर रही है। जानकारी मिली है कि केंद्र ने अब तक हामी नहीं भरी है। सभी को अहिंसात्मक विरोध करना है। बुधवार को जैन समाज के सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।समाज को एकता और संगठन को दिखाना है।

 साध्वी मधुस्मिता ने कहा कि यह तीर्थ स्थलों की भूमि है आज भगवन्तों की भूमि पर राज्य सरकार जो कार्य कर रही है वह निंदनीय है।धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करना गलत है।जो अहिंसा की मशाल जल रही है उसे कायम रखना है।


जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है सम्मेद शिखर

सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह 'सिद्धक्षेत्र' कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह ज़िले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। इसे 'पारसनाथ पर्वत' के नाम से भी जाना जाता है।सम्मेद शिखर तीर्थ या पारसनाथ पर्वत का तीर्थ क्षेत्र के साथ ही पूरे भारत में प्राकृतिक, ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रखता है। 

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