‘विद्यार्थियों के द्वारा चक्काजाम, धरना-प्रदर्शन, तालाबंदी किए जाने पर संस्था प्रमुख होंगे जिम्मेदार‘




 कलेक्टर ने सभी ब्लॉक के प्राचार्यों की बैठक लेकर अनुशासित रहने के दिए निर्देश



धमतरी। ‘स्कूलों में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, किन्तु कतिपय अनुचित मांगों को लेकर उनके जरिए चक्काजाम, धरना-प्रदर्शन व तालाबंदी जैसे अनुचित कार्यफ़ कराए जा रहे हैं, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षकों की लिप्तता की बात सामने आई है, जो सर्वथा अवैधानिक है। भविष्य में इस प्रकार के कृत्य किए जाते हैं तो उसके लिए संस्था के प्रमुख सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।‘ उक्ताशय के निर्देश कलेक्टर  पी.एस. एल्मा ने जिले के चारों विकासखण्ड में स्थित हायर सेकण्डरी एवं हाई स्कूल के प्राचार्यों की बैठक लेकर दिए। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि संस्था प्रमुख होने के नाते प्राचार्य के पास पर्याप्त अधिकार हैं जिनका उपयोग कर वे स्कूल और स्टाफ को अनुशासित कर सकते हैं।


जिला पंचायत के सभाकक्ष में आज दो पालियों में स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक लेकर कलेक्टर ने विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए उन्हें आवश्यक निर्देश दिए, साथ ही उनकी समस्याओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि चक्काजाम, धरना-प्रदर्शन व स्कूलों में तालाबंदी जैसी गैर वैधानिक गतिविधियों में विद्यार्थियों को माध्यम बनाया जाता है, जबकि उसके पीछे किसी और का हाथ होता है। इसका सीधा अर्थ है कि प्राचार्य का नियंत्रण अपने अधीनस्थ शिक्षकों व विद्यार्थियों पर नहीं है। कलेक्टर ने समझाइश देते हुए शासन अपने उपलब्ध साधनों एवं संसाधनों के आधार पर शिक्षकों की व्यवस्था करता है। इन कृत्यों से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।


 स्कूलों में जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को समझाया :- बैठक में कलेक्टर ने बताया कि स्कूलों में विद्यार्थियों का जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाने को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने इसकी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शासन के निर्देशानुसार अब स्कूलों में जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे है। इसके तहत कोई एक दिन निर्धारित कर स्कूल में शिविर लगाया जाता है जिसमें राजस्व अमले से की ओर से संबंधित हल्के का राजस्व निरीक्षक, पटवारी वहां मौजूद रहेंगे। विद्यार्थी के पास जितने भी प्रमाण-पत्र हैं, जैसे पिछली कक्षाओं की अंकसूची, मिसल रिकॉर्ड, विद्यार्थी आधार कार्ड, पालक का जाति प्रमाण-पत्र आदि को स्कूल के प्राचार्य अपने स्तर पर उपलब्ध कराएंगे, जबकि प्रारूप को भरने का कार्य स्कूल के शिक्षक का होगा। इसके बाद किसी प्रकार के दस्तावेज की कमी का निराकरण करना संबंधित पटवारी या राजस्व अमले का होगा। किसी विद्यार्थी के पालक का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने पर पंचायत बॉडी या ग्रामसभा के जरिए अनुमोदन कराया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित एसडीएम/तहसीलदार द्वारा ऑनलाइन जारी किए गए प्रमाण-पत्र की हार्ड कॉपी विद्यार्थियों को वितरित करने के बाद ही उसे पूर्ण माना जाएगा।


 शाला प्रबंधन समिति की बैठकों में रखें स्थानीय स्तर की समस्याएं :-बैठक में कलेक्टर ने कहा कि विद्यालयों में कई ऐसी समस्याएं होती हैं जिनका निराकरण स्थानीय स्तर पर भी संभव है और शाला प्रबंधन समिति इसका बेहतर जरिया है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक विषयों के अलावा नशा, धूम्रपान आदि व्यसनों में लिप्त बच्चों को एसएमसी के माध्यम से ही काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। समिति में ऐसे जागरूक पालकों को शामिल करें जो वास्तव में स्कूल और विद्यार्थियों को नैतिकता की ओर प्रभावी ढंग से अग्रसर कर सकें। यदि एसएमसी के सदस्य जागरूक हैं तो अनेक समस्याओं का हल शाला स्तर पर ही मुमकिन होगा।

इसके अलावा बैठक में कलेक्टर ने कहा कि किसी भी स्कूल के विद्यार्थी और स्टाफ अनुशासित रहें, इसके लिए जरूरी है कि संस्था प्रमुख स्वयं अनुशासन में रहें। स्कूल का प्रशासक होने के नाते प्राचार्य अपने विद्यार्थियों और शिक्षकों को बेहतर वातावरण दे सकते हैं, बशर्ते उन्हें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी बोध हो। उन्होंने यह भी कहा कि विषय शिक्षकों के अभाव में मौजूदा शिक्षक से भी शिक्षण कार्य कराया जा सकता है। कलेक्टर ने यह भी बताया कि धमतरी जिला वर्तमान में एलपीडी (लो-परफॉर्मेन्स डिस्ट्रिक्ट) में आता है जो अच्छी स्थिति नहीं है। इससे बाहर आने के लिए सभी शिक्षकों को बेहतर और सकारात्मक प्रयास करने होंगे। प्राचार्य अपने अधीनस्थ शालाओं की सतत् मॉनीटरिंग करें तथा समस्याओं का समुचित हल निकालें। जिन समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर संभव नहीं है, उनसे उच्च कार्यालय को अवगत कराएं। इसके अलावा कलेक्टर ने विद्यालय परिसर को स्वस्थ रखने, अनुपयोगी सामग्री का अपलेखन की कार्रवाई करने सहित अन्य बिंदुओं पर आवश्यक निर्देश दिए। 

 इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी  ब्रजेश बाजपेयी ने स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं, शिक्षकों की कमी, अतिशेष, लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों की जानकारी प्राचार्यों से ली। साथ ही प्रदेश शासन द्वारा शुरू किए जा रहे प्रदेश शासन की ‘सुग्घर पढ़वईया‘ नामक अभिनव पहल की जानकारी उपस्थित प्राचार्यों को दी।



 

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