राजिम में लक्ष्मण झुला ने त्रिवेणी संगम की रौनकता बढ़ा दी

 


प्रतिदिन हजारों श्रध्दालु झुले से पहुंच रहे लोमश ऋषि आश्रम एवं कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर


पवन निषाद

मगरलोड। 5 फरवरी से प्रारंभ माघी पुन्नी मेला की रौनकता दिन-प्रतिदिन निखर रही है। मेला के तीसरे दिन भी अच्छी खासी भीड़ देखी गई। मांमा भांजा मंदिर से लगा हुआ लक्ष्मण झुला 610 मीटर की लंबाई में भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव के मंदिर तथा दूसरे छोर पर धमतरी जिला के सीमा में स्थित लोमश ऋषि आश्रम आसानी से पहुंचा जा रहा हैं। मेले में भीड़ ज्यादा होने के कारण श्रध्दालुओं को व्यवस्थित ढंग से चलने के लिए व्यवस्था की गयी है। झुला के मध्य में लोहे का खंभा लगाकर दांये - बायें चलने के लिए डोर लगा दिया गया है। ज्यादा भीड़ होने पर उन्हें कवरेज करने के लिए बीच-बीच में स्टापेज बनाया गया हैं। शाम को आकर्षक और रंग बिरंगी लाइट की रोशनी से झुला की आभा निखर जाती हैं। तरह-तरह के रंग बिरंगी लाइटें आकर्षक दृश्य प्रस्तुत कर रहीं है।


 उल्लेखनीय है कि इस लक्ष्मण झूला कों 33 करोड़ की लागत से बनाया गया है। लोहे के एंगल एवं प्लेट आर्च की सुंदरता को बढ़ा दिया है। बेमेतरा से पहुंचे पोषण साहू, योगेश साहू, हरि, जीवन, धनेश्वर ने बताया कि वह पहली बार लक्ष्मण झूला चढ़े हैं। झुला के मध्य में जाने पर उनका हिलना बहुत ही अच्छा लगा। धन्य हैं यहां के लोग जिसे भगवान राजीव लोचन की प्रतिदिन दर्शन हो रहें है। हम तो एक ही दिन में अति प्रसन्न हो रहें है। राजनांदगांव की बैसाखिन बाईं, धर्मिन बाईं, सुनीता, योगेश्वरी, दिल्ती बाईं ने बताया कि परिवार के संग मेला घुमने आये हैं। पहली बार लक्ष्मण झूला चढ़ा। महादेव की कृपा से उनका दर्शन भी हो गया। हमारे बड़े भाग्य है। 

धमधा जिला बेमेतरा से कुमारी, गीता, महासमुंद के गोपाल, दयालु राम, टिल्लु, देवभोग के देवानंद ने बताया कि लक्ष्मण झूला चढ़ने के लिए ही हम यहां पर आये है। पहले बहुत ज्यादा नाम सुना था कि यह झूला ऋषिकेश में हैं अगर इसे देखना है तो सैकड़ों मील दूरी तय करते, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास से राजिम संगम में ही इसे देखने का मौका मिल गया इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। उल्लेखनीय हैं कि पिछले वर्ष 1 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लक्ष्मण झूला का उद्घाटन किया था। पूरी बरसात में इसी झुला के माध्यम से लाखों श्रध्दालुओं ने बाबा कुलेश्वरनाथ महादेव का दर्शन लाभ लिया। एक तरह से महादेव तक जाने के लिए वरदान सिध्द हुआ है।



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