छेरछेरा का पर्व लेना नहीं, देना सिखाता है : रंजना साहू

भूपेश बघेल सरकार पर कसा तंज



 धमतरी- छत्तीसगढ़ की परंपरा व संस्कृति की जीवंतता को बनाए रखने वाले अनेक पर्व में छेरछेरा पुन्नी का पर्व शाश्वत रहते हुए आश्वत श्रद्धा के अवलंब पर टिका हुआ है। यह पर्व ग्रामीण परिवेश में पुष मास के अंतिम दिवस जब किसानों के द्वारा धान की पूरी मिंजाई का होने का होता है। तब प्रत्येक किसान एक दूसरे को अन्न, सामग्री, रुपये-पैसे, यहां तक कि खाने-पीने का सामान देकर अपनी संस्कृति को मजबूती प्रदान करते हैं। किंतु प्रदेश के भूपेश बघेल सरकार हमारी भावना, हमारी आस्था, हमारी श्रद्धा से खिलवाड़ करते हुए उल्टे अपने कार्यकर्ताओं से आम जनमानस से मांग कर लेते हुए क्या प्रदर्शित करना चाहती है। यह समझ से परे  है। उक्त बातें क्षेत्र के विधायक रंजना डीपेंन्द्र साहू ने कही , उन्होंने कहा कि छेरछेरा के पर्व की सार्थकता को सिद्ध करते हुए राज्य सरकार को वास्तव राजधर्म का निर्वहन करते हुए कोई न कोई नई योजना, नए सौगात जन हितैषी बनाकर राज्य को समर्पित करते तो राज्य सरकार की सही मंशा प्रकट होती, उल्टे सोसायटीओं में धान बेचने में तरह-तरह की परेशानियां किसानों के सामने आ रहे हैं, जो किसान धान बेंच चुके हैं वह भुगतान के लिए भटक रहे हैं। नगरी निकाय में जनप्रतिनिधियों को खरीद-फरोख्त कर लोकतंत्र की हत्या की है। पंचायतों में नियम कायदे को काट में रखकर भाजपा समर्थित फार्म को निरस्त किया गया है। ऐसे में छेरछेरा के पर्व पर दिखावा करना जनता के हितों के साथ छलावा व धोखा है।

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