फसल अवशेष जलाना किया गया प्रतिबंधित,जलाया तो 15 हजार रूपए तक लगेगा जुर्माना


धमतरी 21 मई 2020/
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देश अनुसार जिले में फसल अवशेष पैरा, ठूंठ को जलाने तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया गया है। ग्रीष्मकालीन धान फसल कटाई के बाद किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने के कारण घटनाएं घटित होती रहती हैं। साथ ही वातावरण में प्रदूषण फैलता है, जो मानव जीवन, पशु-पक्षियों एवं भूमि के लिए हानिकारक है। इसके मद्देनजर उप संचालक कृषि ने किसानों से अपील किया है कि वे अपने खेतों में पैरा एवं ठूंठ नहीं जलाएं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से भूमि में लाभदायक जीवाणुओं के नष्ट होने के साथ ही कार्बनडाइआॅक्साइड, नाइट्रस आॅक्साइड, मिथेन गैस एवं विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण, मृदा स्वास्थ्य बिगड़ने के अलावा मनुष्यों में दमा, फेफड़े की बीमारी एवं मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उप संचालक, कृषि ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि फसल कटाई के बाद खेत में पड़े पैरा को एकत्रित करने के लिए शासन द्वारा बेलर की व्यस्था की गई है। बेलर से पैरा को इकट्ठा किया जाकर नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत गांव के गोठानों में एकत्रित गौवंशीय पशुओं को निःशुल्क चारा उपलब्ध होगा। साफ तौर पर कहा गया है कि यदि किसी किसान द्वारा फसल अवशेष जलाने अथवा जलाते हुए पाए जाने पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश अनुसार उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई अथवा जुर्माना एवं सजा का प्रावधान है, जो किसान की कुल रकबे के अनुसार होगी। बताया गया है कि दो एकड़ कृषि भूमि धारक किसानों पर 2500 रूपए, दो से पांच एकड़ तक कृषि भूमि धारक किसानों पर पांच हजार रूपए तथा पांच एकड़ से अधिक भूमिधारक किसानों पर 15 हजार रूपए पर्यावरणीय जुर्माना एवं सजा का प्रावधान है।
फसल अवशेषों को सड़ाकर खाद तैयार करें
किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने एवं उनका उचित प्रबंधन करने के लिए सुझाव दिए गए हैं, जिसके तहत फसल कटाई के बाद खेत में पड़े हुए अवशेष के साथ ही गहरी जुताई कर पानी भरने से फसल अवशेष खाद में परिवर्तित हो जाते हैं। इससे अगली फसल के लिए मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होंगे। फसल कटाई के बाद खेत में बचे हुए अवशेषों को जुताई कर खेत में पलट देने अथवा इकट्ठा करके वेस्ट डी-कम्पोजर अथवा ट्राइकोडर्मा डालकर खाद बनाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। फसल अवशेषों का उपयोग मशरूम उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है। भूमि को फसल अवशेष से प्राप्त होने वाले कार्बनिक तत्व जो कि मृदा में मिलकर खाद के रूप में परिवर्तित होकर फसलों को मिलती है, जिससे मृदा संगठन एवं संरचना में सुधार के साथ ही भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है। खेत में ही वेस्ट डिकम्पोजर तरल पदार्थ से फसल अवशेषों को सड़ाकर खाद तैयार करके रासायनिक खाद क्रय करने की राशि में बचत की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर एक टन पैरा नही जलाकर डिकम्पोजर से सड़ाकर कम्पोस्ट खाद बनाने पर पांच किलोग्राम नत्रजन, 12 किलोग्राम स्फुर एवं पांच किलोग्राम पोटाश खाद खेत में तैयार करने से कीट व्याधि एवं खरपतवारों की रोकथाम, फसल लागत कम और उपज अधिक तथा आमदनी में वृद्धि किया जा सकता है।

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