विकास दुबे की गिरफ्तारी फिक्स या सरेंडर ?




कानपुर शूटआउट  के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे   की गिरफ्तारी के साथ ही सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं। एक ओर पुलिस इसे गिरफ्तारी बता रही है वहीं विपक्षी दल इसे फिक्स सरेंडर कह रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी विकास दुबे की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं।
सरकार साफ करे आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी?

एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'खबर  रही है कि ‘कानपुर काण्ड’ का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है। अगर ये सच है तो सरकार साफ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी। साथ ही उसके मोबाइल की CDR सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।'

अलर्ट के बावजूद आरोपी उज्जैन कैसे पहुंचा?

 विकास दुबे की गिरफ्तारी परप्रियंका ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, 'अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है।तीन महीने पुराने पत्र परनो एक्शनऔर कुख्यात अपराधियों की सूची मेंविकासका नाम होना बताता है कि इस मामले के तार दूर तक जुड़े हैं।' प्रियंका ने आगे लिखा, 'यूपी सरकार को मामले की CBI जांच करा सभी तथ्यों और प्रोटेक्शन के ताल्लुकातों को जगज़ाहिर करना चाहिए।'
 सुरक्षा एजेंसियों को क्यों नहीं लगी भनक
 फरीदाबाद से उज्जैन पहुंचने के लिए उसे 750 किलोमीटर का सफर तय किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विकास सड़क मार्ग के जरिए ही उज्जैन पहुंचा है। ऐसे में सवाल है कि तमाम इंटेलिजेंस एजेंसियां क्या कर रही थीं। किसी को भनक क्यों नहीं लगी।

मंदिर में गिरफ्तारी क्यों

विकास दुबे को डर था कि वह एनकाउंटर में मार दिया जाएगा। उसके 5 गुर्गों को भी अलग-अलग एनकाउंटर में पुलिस ने ढेर कर दिया था। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसी वजह से विकास दुबे ने सरेंडर के लिए मंदिर को चुना?
गिरफ्तारी के लिए मीडिया को क्यों ले जाया गया
कानपुर शूटआउट में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिजनों ने भी विकास दुबे की नाटकीय गिरफ्तारी पर सवाल उठाए। सीओ के रिश्तेदार कमलकांत ने कहा, 'कई अपराधी जेल से बादशाहत चला रहे हैं। 12 घंटे पहले विकास फरीदाबाद में था और तुरंत वह उज्जैन पहुंच गया। सुनियोजित तरीके से उसका समर्पण कराया गया। कौन सी पुलिस गिरफ्तारी के लिए मीडिया को लेकर जाती है।'
विकास दुबे ने खुद ही बताई अपनी पहचान
विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए यूपी पुलिस देश के कई राज्यों में खाक छान रही थी। 2 दिन पहले वह फरीदाबाद में दिखा था। वहीं, यूपी पुलिस के संपर्क किए जाने के बाद एमपी पुलिस भी अलर्ट पर थी। उसके बाद भी सभी के दावों को विकास दुबे ने हवा निकाल दी है। उज्जैन पुलिस भले ही दावा कर रही है कि विकास को उसने गिरफ्तार किया है लेकिन प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि विकास दुबे ने खुद ही अपनी पहचान बताई थी।
 गिरफ्तारी के वक्त विकास दुबे की बॉडी लैंग्वेज पर सवाल 
गिरफ्तारी का जो विडियो सामने आया है, उस पर भी लोगों ने सवाल किए हैं। गिरफ्तारी के दौरान विकास दुबे की बॉडी लैंग्वेज से लग नहीं रहा था कि उसे गिरफ्तार किया गया है। लोगों ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान विकास दुबे बहुत आराम से चल रहा था। उसके चेहरे पर किसी तरह का खौफ नजर नहीं रहा था। 
गिरफ्तारी से पहले मंदिर में फोटो क्लिक कराई 
महाकाल मंदिर में गिरफ्तारी से पहले विकास दुबे ने परिसर पर फोटो भी क्लिक कराई। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिसके पीछे कई राज्यों की पुलिस लगी हो वह इस तरह इतने आराम से कैसे टहल सकता है। महाकाल मंदिर में दर्शन करने पर भी सवाल उठ रहे हैं। 
दिर में गिरफ्तारी क्यों? एनकाउंटर से डर गया था विकास दुबे
विकास दुबे को डर था कि वह एनकाउंटर में मार दिया जाएगा। उसके 5 गुर्गों को भी अलग-अलग एनकाउंटर में पुलिस ने ढेर कर दिया था। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसी वजह से विकास दुबे ने सरेंडर के लिए मंदिर को चुना
फरीदाबाद और उज्जैन तक भागने में किसने की मदद
विकास दुबे ने फरीदाबाद से मध्य प्रदेश तक सैकड़ों किमी का रास्ता तय कर लिया फिर भी वह गिरफ्तार नहीं हो सका। ऐसे में सवाल है कि बिना गिरफ्तारी के गैंगस्टर इतने किमी का सफर कैसे कर पाया? किसने गैंगस्टर की मदद की थी?
शूटआउट के बाद से कहां रह रहा था विकास दुबे
शूटआउट के बाद से विकास दुबे फरार था। कई राज्यों में पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए ऑपरेशन चलाया और हाई अलर्ट जारी किया। यहां तक कि जब पुलिस ने फरीदाबाद में छापा मारा तब भी वह वहां से भाग निकला। गैंगस्टर विकास दुबे 6 दिन तक फरार था। ऐसे में उसे किसने शरण दी थी, वह कहां रह रहा था?


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