बटहा, लोरमी के किसान के बेटे संदीप को आप ने बनाया राज्य सभा प्रत्याशी, पंजाब में आप की जीत का रणनीतिकार है संदीप

 

वतन जायसवाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अपनी पैठ जमाने के लिए आम आदमी पार्टी ने पहला कदम उठा लिया है। लोरमी के किसान पुत्र को आप ने पंजाब से अपना राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। जिन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान की उपस्थिति में अपना नामंकन दाखिल किया है। 

मुंगेली जिला के गांव बटहा के किसान शिवकुमार पाठक के बेटे संदीप को आम आदमी पार्टी ने पंजाब से अपना राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। यह समाचार मिलते ही गांव में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। 


   संदीप पाठक का जन्म 4 अक्टूबर 1979 को हुआ था। संदीप से छोटे उनके भाई प्रदीप पाठक औऱ बहन प्रतिभा पाठक हैं। डा. संदीप पाठक की प्राइमरी शिक्षा लोरमी के ही गांव में हुई है। इसके बाद वह 6 वीं की पढ़ाई के लिए बिलासपुर चले गए। वहां से एम.एस. सी. की पढ़ाई पूरी करने के बाद हैदराबाद और फिर करीब 6 साल ब्रिटेन में रहकर पढ़ाई की। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पीईचडी करने के बाद वह भारत लौटे।

 आईआईटी दिल्ली की वेबसाइट के मुताबिक संदीप मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में में प्रोफेसर व्लादिमारी बुलोविक के साथ काम किया। 2006 से वे आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर हैं। इसी दौरान वे आम आदमी पार्टी से भी जुड़े। 

अपनी रणनीति और मेहनत के बलबूते पर संदीप आम आदमी पार्टी की कोर टीम में शामिल हुए। यह वही टीम है जिसने पंजाब में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में कड़ी मेहनत की है।

  आप के साथ जुड़ने से पहले वह राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ भी काम कर चुके हैं। बताया जाता है कि पंजाब में उन्हें पर्दे के पीछे  काम करने की भूमिका सौंपी थी। जिस पर वो अपने जूनियरों की टीम के साथ काम कर रहे थे।

ये टीम कतई लाइमलाइट में नहीं रही और उसने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी। आमतौर पर उन्होंने मुख्य मीडिया से भी मिलने जुलने परहेज किया। इस टीम ने पंजाब को 5 जोन में बांटकर काम करना शुरू किया।

इस टीम ने मतदाताओं के मूड को भांपा तो उम्मीदवारों को चुनने के मामले में भी आलाकमान को लगातार यथोचित सलाह दी।टिकट देने पर नाराजगी नहीं फैले, उसके लिए क्या किया जा सकता है, उसे लेकर भी दिल्ली के आलाकमान को संपर्क में रखा। कहा जाता है कि चुनाव से पहले पंजाब में सीएम चेहरे के तौर पर मान के नाम की घोषणा के लिए उन्होंने आलाकमान को सुझाव दिए थे। जिसे बाद में दिल्ली के नेतृत्व ने माना भी।



0/Post a Comment/Comments

और नया पुराने