नई दिल्ली।चमोली में ग्लेशियर हादसे के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर है लोग बड़ी अनहोनी के चलते आशंकित नजर आ रहे हैं।
पुलिस-प्रशासन ने पूरे जिले में अलर्ट जारी किया है।प्रशासन ने कहा है कि तपोवन रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर आने के कारण ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को क्षति पहुंची है, जिससे नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस कारण अलकनंदा नदी किनारे रह रहे लोगों से अपील है कि अतिशीघ्र सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। वहीं, कहा जा रहा है कि जोशीमठ के पास रेनी गांव और उसके आसपास का इलाका सर्वाधिक प्रभावित हैं।
उत्तराखंड सरकार के चीफ सेक्रेटरी ने इस बीच कहा है कि ग्लेशियर हादसे में 100 से 150 लोगों के बहने की आशंका है। इससे पहले स्थानीय प्रशासन ने कहा कि घटना में 10 हजार से अधिक लोगों के प्रभावित होने की आशंका है.
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, 10000 लोगों के प्रभावित होने की इस हादसे से जानकारी मिल रही है। इसमें वह लोग भी हैं जो लोग नदी के किनारे रह रहे थे। साथ ही वह मजदूर भी हैं जो डैम में काम कर रहे थे. आइटीबीपी उत्तराखंड पुलिस नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स और स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स की टीम मौके पर रवाना हो गई है.
घटनास्थल के लिए रवाना हुए सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि चमोली के रिणी गांव में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को भारी बारिश व अचानक पानी आने से क्षति की संभावना है। नदी में अचानक पानी आने से अलकनंदा के निचले क्षेत्रों में भी बाढ़ की संभावना है. तटीय क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट किया गया है. नदी किनारे बसे लोगों को हटाया जा रहा है. साथ ही एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया है. अलकनन्दा का पानी का बहाव रोका जा सके इसलिए श्रीनगर डैम तथा ऋषिकेष डैम को खाली करवा दिया है. SDRF अलर्ट पर है।
कैसे टूटता है ग्लेशियर?
ग्लेशियर सालों तक भारी मात्रा में बर्फ के एक जगह जमा होने से बनता है। ये दो तरह के होते हैं- अल्पाइन ग्लेशियर और आइस शीट्स। पहाड़ों के ग्लेशियर अल्पाइन कैटेगरी में आते हैं। पहाड़ों पर ग्लेशियर टूटने की कई वजहें हो सकती हैं। एक तो गुरुत्वाकर्षण की वजह से और दूसरा ग्लेशियर के किनारों पर टेंशन बढ़ने की वजह से। ग्लोबल वार्मिंग के चलते बर्फ पिघलने से भी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर अलग हो सकता है। जब ग्लेशियर से बर्फ का कोई टुकड़ा अलग होता है तो उसे काल्विंग कहते हैं।
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