धमतरी।वट पूर्णिमा के अवसर पर मराठा समाज की महिलाएं इतवारी बाजार के पास बरगद पेड़ के नीचे वट पूर्णिमा के अवसर पर व्रत रख कर अपने अखण्ड सौभाग्य पति और अविवाहित महिलाएं सत्यवान पति व्रत रख कर पूरे विधि विधान से पूजा की।
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत पूजन करने की भी परंपरा है। ये पर्व मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा समेत दक्षिण भारत के कई इलाकों में मनाया जाता है। लेकिन अब देश हर राज्य में मराठा समाज की महिलाएं भी व्रत रखती इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और वट यानी बरगद के पेड़ का पूजन करती हैं।
व्रत रखी महिलाओं ने बताया कि इस दिन महिलाएं पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं। वट वृक्ष पर सत्यवान, सावित्री तथा यमराज की प्रतिमा लगाकर पूजन करती हैं। परंपरा अनुसार सफेद धागे को बरगद के पेड़ पर लपेटते हुए सात फेरे लगाती हैं। फिर काले चने हाथ में लेकर व्रत की कथा सुनती हैं और यमराज से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सावित्री के पति सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे जीवनदान मिला था इसलिए इस दिन को वट पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं और अविवाहित महिलाएं भी अपने सत्य वान पति के लिए व्रत रखती है।
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