कृषि कानून किसानों के प्रति नहीं बल्कि आने वाले पांच राज्यों के चुनाव के परिणाम को देखते हुए वापस लिया गया: राजा देवांगन

 


धमतरी। पिछले 11 महीने से किसान दिल्ली बॉर्डर पर तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। मोदी सरकार की इस नीति का पूरे देश के किसानो में आक्रोश था। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष राजा देवांगन ने कहा कि जिस तरह किसान अपने अधिकार के लिए गांधी विचार धारा से आंदोलन कर रहे थे शांतिपूर्ण तरीके से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ तीन कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे आखिर कार मोदी सरकार को किसानों के सामने नतमस्तक होना पड़ा। तीन काले कृषि कानून को वापस लेना पड़ा।

 राजा देवांगन  ने कहा कि ये वही काले कृषि कानून थे जिसके विरोध में मोदी सरकार ने किसानों पर कड़ाके की ठंड में वाटर कैनन बरसाए, सीमेंट के बड़ी बड़ी बेरिकेट लगा कर रोका गया कटीले तार बिछाए पुलिस ने लाठियां बरसाई भाजपा नेताओं ने कभी नकली किसान कहा पाकिस्तानी खालिस्तानी तो उन्हें गुंडे कहा मगर किसानों की एकता को तोड़ न सके उनकी आंदोलन को तोड़ न सके आज उन्ही किसानों की जीत हुई।

  यह वही मोदी सरकार है जो लगातार किसानों के साथ अनेकों बार बैठकर कर तीन काले कृषि कानून पर चर्चा कर रही थी कैमरे के सामने आकर इनके मंत्री किसानों को रिमोट से चलने वाला बता रही थी। उन्हें कृषि कानून के फायदे बताने के बजाए उन्हें कानून पर खामियां बताने की बात कहती थी। किसान आंदोलन को तोड़ने हर संभव प्रयास किया गया पूरे देश भर में समय समय आंदोलन किया जिसे विफल बताया भाजपा सरकार ने नेताओ ने।

लगभग पिछले 11 महीनों से किसान आंदोलन कर रहा था क्यों इतनी देर लगाई गई कृषि कानून को वापस लेने में।इनकी देरी यही बताती है कि यह कृषि कानून जो वापस लिए गए यह किसानों के प्रति नहीं बल्कि आने वाले पांच राज्यों के चुनाव के परिणाम को देखते हुए लिया गया यह स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में भाजपा की बुरी तरह से हार होगी इसी डर की वजह कृषि कानून को वापस लिया गया है।

      जिस तरह हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा को मुह की खानी पड़ी उसके तुरन्त बाद मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम कम किया  ।आने वाले चुनावों के लिए यह संकेत है और अब जनता जाग चुकी है । पांच राज्यो के चुनाव सहित लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा ।

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