राज्य में सिकलसेल अस्पताल निर्माण की योजना फाइलो में दफ्न, 27 जिलों में यूनिट का भी पता नहीं

 


सिकलसेल बीमारी के लिए सेंटर आफ एक्सीलेंस व 27 जिलों में यूनिट की 49 करोड़ की योजना पर ग्रहण 


रायपुर। प्रदेश में 10 फीसद यानी 25 लाख से अधिक जनसंख्या सिकलसेल बीमारी से पीड़ित है। वहीं लगातार मरीजों की संख्या बढ़ते जा रही है। मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर में सिकलसेल के लिए विशेष अस्पताल सेंटर आफ एक्सीलेंस की योजना बनाई। तीन एकड़ जमीन में करीब 30 बिस्तरों से बनने वाले इस अस्पताल के लिए 48 करोड़ रुपये से अधिक का बजट रखा गया। वहीं जनवरी 2021 से इसका काम शुरू होने की बात भी कही गई थी। इसमें भेजे गए प्रस्ताव को राज्य सरकार ने भी हरी झंडी दे दी थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते इस अस्पताल की योजना फाइलों तक ही सीमित रह गई है। मामले में अधिकारियों का कहना है कि योजना को लेकर अभी किसी तरह का काम नहीं हो रहा है। 

प्रत्येक जिले में यूनिट का भी बता नहीं

विभागीय जानकारी के मुताबिक सिकलसेल संस्थान द्वारा मरीजों को प्रत्येक जिले में जांच, इलाज व स्क्रीनिंग की सुविधा देने के लिए यूनिट बनाने की प्रक्रिया चल रही थी। यूनिट का संचालन जिला अस्पताल में किया जाता। मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें रायपुर के सिकलसेल सेंटर रेफर किया जाता। सुविधा से दूर-दराज से आने वाले मरीजों को राहत मिलती। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर व मैनमावर के लिए प्रक्रिया चल रही थी। लेकिन वर्तमान स्थिति में इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जबकि इसके लिए एक करोड़ 47 लाख का बजट विभाग ने पहले ही दे दिया है। 

जानें क्या है सिकलसेल बीमारी

चिकित्सकों के मुताबिक यह एक अनुवांशिक बीमारी है। जो माता-पिता के जींस से बच्चों में आती है। इसमें मरीज को समय-समय पर खून की जरूरत पड़ती है। इसके लक्षणों में लाल रक्त कण, आक्सीजन की कमी से चेहरा हंसिए की तरह परिवर्तित होना, जन्म के समय बच्चों में बुखार, पेट दर्द, जोड़, गठानों में दर्द, प्रतिरोधक क्षमता कम होना आदि है। अब तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। दवाओं के माध्यम से ही स्थिति को नियंत्रित कर जीवन सामान्य बनाया जाता है। 

सिकलसेल को लेकर अस्पताल बनने की योजना है। इसके लिए अभी कोई डिसीजन नहीं हुआ है। प्रत्येक जिले सिकलसेल यूनिट स्वास्थ्य विभाग करेगा। हम इसमें मदद करेंगे। अभी इसके लिए भी प्रक्रिया नहीं कर पाएं हैं। 

     डॉ प्रदीप कुमार पात्रा, महानिदेशक, सिकलसेल संस्थान



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