भटगांव व सारंगपुरी गौठानों में गोमूत्र खरीदी का हुआ शुभारम्भ

 धमतरी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ का पारम्परिक पर्व हरेली का जिले में धूमधाम से आयोजन किया गया। इस अवसर पर गोमूत्र की खरीदी का शुभारम्भ भी किया गया। धमतरी विकासखण्ड के ग्राम भटगांव और सारंगपुरी में स्थित गौठानों में गोमूत्र खरीदा गया। 

 गौठानों में गुणवत्तायुक्त गोमूत्र की खरीदी के लिए गौठान के पशुमित्रों और समूह की महिलाओं को पशुपालन विभाग के अधिकारियों के द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया। जिले के ग्राम भटगांव और सारंगपुरी में पशुपालकों से गोमूत्र खरीदा गया। ग्राम भटगांव के गौठान में नीशू चंद्राकर उपाध्यक्ष जिला पंचायत के मुख्य आतिथ्य में गोमूत्र खरीदी का आगाज किया गया। श्री चंद्राकर ने किसानों को हरेली पर्व की बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की वास्तविक परम्पराओं को जीवन देने का कार्य कर रहे हैं। पिछले तीन सालों से सही मायने में गांवों और किसानों का विकास हो रहा है, चाहे गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का कार्य हो, चाहे समूहों को आर्थिक तौर पर स्वावलम्बी बनाना हो या फिर किसानों से ढाई हजार रूपए में धान खरीदी का मामला हो। 

 अतिथि जिला पंचायत सदस्य तारिणी चंद्राकर व कविता बाबर ने भी ग्रामीणों को हरेली की शुभकामनाएं देते हुए आज से शुरू किए जा रहे गोमूत्र खरीदी के बारे में बताया। इस अवसर पर कलेक्टर पी.एस. एल्मा, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका महोबिया, एसडीएम विभोर अग्रवाल सहित संबंधित विभाग के अधिकारी, स्थानीय सरपंच व ग्रामीणजन उपस्थित थे।

इसी तारतम्य में धमतरी विकासखण्ड के ग्राम सारंगपुरी गौठान में भी गोमूत्र की खरीदी कलेक्टर की उपस्थिति में की गई। इस दौरान संग्रहित गोमूत्र का पीएच मान का परीक्षण यूरोमीटर से किया गया। यह भी बताया गया कि गोमूत्र का पीएच मान 7.5 से अधिक होने पर ही इसे खरीदा जा सकता है। संक्रामक रोगों से ग्रसित पशुओं का गोमूत्र नहीं खरीदा जाएगा।सारंगपुरी के गौठान में तीन पशुपालकों के द्वारा गोमूत्र का विक्रय किया गया जिसे गोठान प्रबंधन समिति द्वारा 4 रूपए प्रतिलीटर के मान से खरीदा गया। उक्त गोमूत्र में नीम, सीताफल, पपीता, करंज और अमरूद के पत्ते मिलाकर उत्कृष्ट जैविक कीट नियंत्रक (ब्रह्मास्त्र) तैयार किया जाएगा। इसके अलावा जीवामृत वृद्धिवर्धक फार्मूला गोमूत्र, गोबर, गुड़, बेसन, बरगद या नीम पेड़ के नीचे की मिट्टी के मिश्रण से तैयार किया जाएगा।



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