"महिलाओं में खून की कमी चिन्ताजनक",देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में दो दिवसीय योग सम्मेलन का आयोजन

 


इंदौर । योग अध्ययनशाला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय योग सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय स्थित सभागृह में किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर की कुलपति प्रो. रेणु जैन, विशिष्ट अतिथि कुलाधिसचिव प्रो. अशोक शर्मा, कुलसचिव डाॅ. अनिल कुमार शर्मा ने किया।  

सम्मेलन के पहले विशेष वक्ता कैवल्यधाम लोनावाला से डाॅ. एम.एम. गोरे, तथा डाॅ. श्रीराम साखलकर हरिद्वार से डाॅ. ईश्वर भारद्वाज उपस्थित थे। डाॅ. गोरे ने विषय ‘‘प्रिंसिपल एण्ड मेकैनिज्म फॉर योग थेरेपी’’ पर योग के वैज्ञानिक स्वरूप को विस्तार से समझाया योग चिकित्सा वर्तमान समय की नितांत आवश्यकता है योग से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, लेकिन योग की भी कुछ सीमाएँ हैं, इन्हें समझना होगा। योग आसन, प्राणायाम धीरे-धीरे करें और योग के परम्परागत स्वरूप को अपनाएं जिसमें उनके पर्याप्त लाभ मिल सके। डाॅ. श्रीराम साखलकर ने योग के वैज्ञानिक शोध की जरूरत को बताया। योग प्राचीन ग्रन्थों में उपलब्ध है उन ग्रन्थों को शोध करना और बीमारियों के अनुसार योगाभ्यास करना जरूरी बताया। डाॅ. ईश्वर भारद्वाज ने योग के व्यावहारिक स्वरूप को विस्तार से बताया। योग अध्ययनशाला के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ ए के द्विवेदी ने एनीमिया के विभिन्न प्रकार जैसे- आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया-, अप्लास्टिक एनीमिया , सिकल सेल एनीमिया , विटामिन डेफिशियेंसी एनीमिया ,  थैलेसीमिया तथा हीमोरेजिक एनीमिया के बारे में लोगों को विस्तृत रूप से अपने व्याख्यान पावर पॉइंट के माध्यम से समझाया।

उन्होंने महिलाओं में माहवारी के समय होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव, ब्लीडिंग पाइल्स तथा नाक मुँह से खून आने एवं पेशाब में खून आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाने की सलाह भी दी। आपने कहा कि 45 साल के बाद या कभी भी कमजोरी थकान अथवा बार-बार बुखार आने पर दर्द निवारक दवा खुद से नहीं लेना चाहिए सी.बी.सी. की जाँच कराकर विषेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से ही दवाईयों का सेवन करना चाहिए, बिना डॉक्टरी सलाह दवा लेना हानिकारक साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले 22 सालों से भी अधिक समय से आप अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहें हैं कई मरीज ठीक होने के बाद पूरी तरह से नार्मल लाइफ जी रहें है उन्हें ना तो अब ब्लड लगाना पड़ता है और ना ही कोई दवा लेनी पड़ती है। होम्योपैथिक चिकित्सा के साथ-साथ आपने कई यौगिक क्रिया भी करने की सलाह  दी। 

प्रारम्भ मे स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक विभागाध्यक्ष डाॅ. एस.एस. शर्मा ने दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम उपसंयोजक डाॅ. अनुराग शर्मा, शिक्षक डाॅ. सरिता धानुक, निक्की तिवारी,  विपिन शर्मा, आचार्य विषाल शर्मा, नीता मालवीय, उमा पाठक, शीतल पाठक, पूजा पंवार आदि उपस्थित थे।  

कार्यक्रम में हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. संजय लोढ़े ने यौगिक जीवनषैली पर अपने विचार रखे।यौगिक क्रिया भी करने की सलाह  दी।अन्तिम सत्र में शोधार्थियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए।   


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